शिवसेना ने लिखा है कि सवालों के पहाड़ को हिम्मत से व्रजमुठ्ठी से तोड़ने का साहस PM के रूप मे मोदी के सीने और कलई में है

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए नरेंद्र मोदी द्वारा देश का नेतृत्व करने को एक ‘ईश्वरीय योजना’ बताया है. पार्टी ने लिखा है कि दिल्ली मे मोदी का शपथ समारोह देश को मजबूती की ओर ले जाने वाला साबित होगा.  लेख में शिवसेना ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी निशाना साधा है. पार्टी ने लिखा है कि ममता बनर्जी ने प्रधानंमत्री के शपथ समारोह मे शामिल न होने का फैसला लेकर ये बता दिया है  कि वह लोकतंत्र को नहीं मानती हैं. मोदी ने पाकिस्तान को शपथ समारोह का निमंत्रण न देकर ये जाहिर कर दिया है कि देशभावना के खिलाफ वह कुछ नहीं करेंगे, साथ ही पहले मोदी प्रधानसेवक और चौकीदार थे अब अभिभावक बन गए है.

शिवसेना ने लिखा है कि सवालों के पहाड़ को हिम्मत से व्रजमुठ्ठी से तोड़ने का साहस प्रधानमंत्री के रूप मे मोदी के सीने और कलई में है.   

ममता ने किया लोकतंत्र का अपमान

लेख में आगे लिखा है  ‘नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बने तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा, ऐसी आशंका विरोधियों ने जताई थी. जिन्होंने यह आशंका जताई थी और अपनी लड़ाई मोदी की तानाशाही के खिलाफ होने का शोर मचाया था, ऐसी मंडलियों में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सबसे आगे थीं. मगर मोदी लोकतांत्रिक मार्ग से चुनकर आए हैं और संविधान के दायरे में रहकर ही प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं.  शपथ ग्रहण समारोह के लिए ममता बनर्जी को दिए गए निमंत्रण को उन्होंने ठुकरा दिया है. यह लोकतंत्र के दायरे में नहीं आता.’

शिवसेना ने लिखा, ‘पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसाचार हुआ यह सत्य है. हिंसाचार में जो मारे गए उनके परिवारवालों को प्रधानमंत्री ने शपथ विधि समारोह में बुलाया है यह रूठने की कोई वजह नहीं हो सकती. ये सारे परिवार बांग्लादेशी न होकर हिंदुस्तानी नागरिक हैं और अन्य लोगों की तरह प्रधानमंत्री के शपथ विधि समारोह में उपस्थित रहने का उन्हें अधिकार है. ममता तथा उनके दल को यह मंजूर नहीं होगा तो वे लोकतंत्र नहीं मानते हैं यह निश्चित है.’

प्रचंड जीत मिलने के बाद भी मोदी ने विरोधियों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला है, इसे ध्यान में रखना होगा. नया राज संयम तथा मानवता की भावना से काम करेगा, ऐसा उन्होंने अपनी कार्यशैली से दिखा दिया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान निमंत्रितों की सूची में नहीं है. 2014 में मोदी के पहले शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ आए थे. मगर इस जहर की परीक्षा दोबारा नहीं चाहिए तथा देश भावना के खिलाफ कुछ नहीं करना है, ऐसा मोदी ने निश्चय किया है. मोदी का देश का नेतृत्व करना यह ईश्वरीय योजना ही है.

टाइम मैगजीन के लेख पर भी की बात

लेख में लिखा है, ‘चुनाव से पहले ‘टाइम’ मैगजीन ने मुखपृष्ठ पर मोदी का उल्लेख  “INDIA DIVIDER IN CHIEF ” मतलब फूट डालनेवालों का प्रमुख, ऐसा किया था.  अब ‘टाइम’ ने पलटी मारते हुए कहा है कि मोदी अखंडता तथा राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं. उगते सूरज को नमस्कार करने की परंपरा है लेकिन 2014 के बाद मोदी का सूर्य अस्त कहां हुआ? 2014 में वह और अधिक प्रखर होकर तेजी से चमक रहा है. देश के सामने कई सवाल हो सकते हैं. नहीं, वे हैं ही. लेकिन उन सवालों का पहाड़ हिम्मत से वज्रमुट्ठी  से तोड़ने का साहस प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के सीने और कलाई में है. मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का यही महत्व है.’

मोदी ने देश की जनता का अभिभावक बनना स्वीकार किया है. वह कल तक प्रधानसेवक थे, चौकीदार थे. आज अभिभावक बन गए हैं. उनका सहारा लगे, विश्वास लगे ऐसा माहौल निर्माण हुआ है और वही उनकी जीत का राजमार्ग साबित हुआ. दिल्ली में उनका शपथ समारोह देश को मजबूती की ओर ले जानेवाला साबित होगा, यही ईश्वर की योजना है. 

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