हालिया लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का सूपड़ा साफ होने के बाद मंगलवार को पार्टी ने बैठक की। पार्टी में आरजेडी के तमाम उम्मीदवार शामिल हुए। साथ ही, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav), प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे समेत अन्य नेता शामिल हुए। बैठक शुरू होने के पहले तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने अपने करीबी के माध्यम से अपने छाेटे भाई तेजस्वी काे पत्र लिखा। राजद नेता जगदानंद सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव में जनादेश की नहीं, बल्कि षड्यंत्र की जीत हुई। वहीं तेज प्रताप ने भी मीडिया को अलग से बताया कि यह वोटिंग नहीं, बल्कि सेटिंग की जीत है।
तीन सदस्यीय कमेटी का गठन: जगदानंद
हंगामे की आशंका को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (Rabri Devi) के आवास पर आयोजित बैठक का स्वरूप ही बदल दिया गया। जगदानंद संकटमोचक बनकर उभरे। उन्होंने एक साथ बैठक के बदले एक-एक कर अपनी राय रखने को कहा। इसके तहत सभी उम्मीदवारों ने बारी-बारी से राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के सामने अपनी राय रखी। बाद में जगदानंद ने उम्मीदवारों के सामने घोषणा की कि हार का असली कारण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का षडय़ंत्र है। हम सब मिलकर उसका मुकाबला करेंगे। बैठक में जनादेश के कथित घोटाले की जांच के लिए समिति बनाने का फैसला किया गया।
तेजस्वी बने रहेंगे विपक्ष के नेता
दूसरी बात यह तय हुई कि तेजस्वी यादव विधानसभा में विपक्ष के नेता बने रहेंगे। विधानसभा का अगला चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हार के बावजूद महागठबंधन कायम रहेगा। जमीनी स्तर पर हार की समीक्षा के लिए पूर्व मंत्री जगदानंद की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। सदस्य के तौर पर अब्दुल बारी सिद्दीकी और आलोक मेहता शामिल हैं। यह समिति 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट देगी। इसके जरिए जनता को बताया जाएगा कि एनडीए ने किस तरह षडय़ंत्र के जरिए बहुमत हासिल किया है।
‘जनादेश का किया गया अपहरण’
बैठक के बाद जगदानंद ने पत्रकारों के इस सवाल को पूरी तरह खारिज किया कि लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के पारिवारिक विवाद के कारण आरजेडी और महागठबंधन (Grand Alliance) की हार हुई। उन्होंने कहा कि यह मामूली बात है। असल मामला यह है कि जनादेश का अपहरण किया गया। हमलोग इसे एनडीए के पक्ष में जनादेश नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि हार से कोई हताश नहीं है। मान कर चल रहे हैं कि जनादेश हमारे पक्ष में था। हम विधानसभा का चुनाव पूरी ताकत से लड़ेंगे और जीतेंगे भी।
उनका कहना था कि एनडीए के नेताओं की सभाओं में भीड़ नहीं रहती थी। उनके नेताओं के चेहरे उड़े रहते थे। इसके बाद भी बड़े फासले से एनडीए की जीत गड़बड़ी के बिना संभव नहीं है। दूसरी तरफ महागठबंधन के नेताओं की सभा में काफी भीड़ रहती थी। मीडिया के लोग भी मान रहे थे महागठबंधन का पलड़ा भारी है।
लालू का मिलता रहेगा मार्गदर्शन
तेजस्वी यादव को विरोधी दल के नेता से हटाने के सवाल पर जगदानंद ने कहा कि यह कैसे संभव है। तेजस्वी ने चिलचिलाती धूप में 235 सभाएं कीं। बड़ी संख्या में लोग उन्हें सुनने आए। वे ऊर्जावान नेता हैं। उन्होंने नौजवानों के बीच जो उत्साह पैदा किया, वही विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन के काम आएगा। विपक्ष के नेता पद से हटने की बात कहां हैं। विधानसभा का अगला चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हमारी जीत भी होगी।
उन्होंने कहा कि अपने नेतृत्व पर आरजेडी को पूरी आस्था है। हमें लालू प्रसाद का मार्गदर्शन मिलता रहेगा। पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के फैसले के मुताबिक तेजस्वी यादव पार्टी का नेतृत्व करेंगे।
तेजप्रताप बोले- यह वोटिंग नहीं, सेटिंग की जीत
इसके पहले तेज प्रताप यादव ने अपने छोटे भाई तेजस्वी को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने तेजस्वी को ‘प्रिय अर्जुन’ कह कर संबोधित किया। यह भी कहा कि 2020 में हमलोग मिलकर लड़ेंगे। इस हार के लिए तेजस्वी कहीं से दोषी नहीं हैं। उन्होंने बाद में मीडिया से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी भी हार गए। कांग्रेस भी हार गई। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह उनकी हार नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने जनादेश को ठगने का काम किया। वे बोलते कुछ हैं और करते कुछ हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी को इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है। इस्तीफा मांगने वाले खुद पार्टी छोड़ दें।
तेजस्वी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल
लालू यादव के चारा घोटाले में सजा पाकर जेल में रहने के कारण चुनाव में नेतृत्व कर रहे उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव भी सवालों के घेरे में हैं। पार्टी के साथ महागठबंधन की साझा रणनीतियों में उनकी अहम भूमिका रही। ऐसे में आरजेडी खेमे में अहम सवाल तेजस्वी की कुशलता व नेतृत्व क्षमता को लेकर है।
सवालों में तेज प्रताप को ले दोहरी नीति
लोकसभा चुनाव के दौरान मंगनीलाल मंडल और अली अशरफ फातमी की दावेदारी छीन ली गई। उन्होंने आपत्ति जताई तो पार्टी से निकाल दिया गया। दूसरी ओर लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे ने पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ खुलकर प्रचार किया और बयान दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। पार्टी में यह दोहरी नीति भी चर्चा में रही है। वहीं तेज प्रताप के खिलाफ पार्टी के एक धड़े में जबरदस्त गुस्से का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि पटना में मीसा भारती के चुनाव प्रचार के दौरान उनके खिलाफ कार्यकर्ताओं ने ‘मुर्दाबाद’ के नारे तक लगा दिए थे।
अब पार्टी में फूट की आशंका
बैठक में जो भी हो, पार्टी में गहराते असंतोष को कम करना अहम जरूरत है। ऐसा नहीं हुआ तो आश्चर्य नहीं कि मानसून सत्र के पहले आरजेडी से बड़े पैमाने पर असंतुष्ट नेताओं का दलबदल हो जाए, जैसा कि जनता दल यूनाइटेड (JDU) के एक बड़े नेता ने दावा किया है।