नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी विपक्ष के नेता का पद हासिल करने के लिए जरूरी 10 प्रतिशत सीटें हासिल नहीं कर पाने के कारण इस बार भी 17वीं लोकसभा में भी विपक्ष के नेता का पद पाने से चूक सकती है। हालांकि यह सरकार पर है कि वह उन्हें यह पद दे या न दे। कांग्रेस पार्टी को लोकसभा में विपक्ष का नेता का पद हासिल करने के लिए आवश्यक 10 प्रतिशत सीटें चाहिए। 543 सांसदों वाली लोकसभा में कांग्रेस को 55 सांसदों की जरूरत थी। अंतिम नतीजे आने के बाद अब साफ हो गया है कि कांग्रेस पार्टी 52 सीटों पर ही सिमट कर रह गई है।
विपक्ष के नेता का पद 16वीं लोकसभा में भी कांग्रेस पाने से वंचित रह गई थी। 44 सीटों वाली कांग्रेस को राजग गठबंधन की सरकार ने नेता विपक्ष का पद देने से इनकार कर दिया था। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने शुरुआत में इसकी मांग नहीं की थी। यह बात अलग है कि कई अहम समितियों में अपना मत बनाए रखने के लिए यह विपक्ष का एक जरूरी हथियार होता है। ऐसे में चयन समितियों में अपना मत रखने के लिए कांग्रेस पार्टी ने सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के नाते पद की मांग की थी। उनकी मांग के चलते सरकार ने सबसे बड़ी पार्टी के नेता के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे को इन समितियों में स्थान दिया था। इससे पहले 1985 में बलराम जाखड़ ने लोकसभा अध्यक्ष के पद पर रहते हुए तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) को दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद विपक्ष के नेता का पद देने से इनकार कर दिया था।