लोकसभा चुनाव 2019 यानी 17वीं लोकसभा के चुनाव परिणाम आते ही कल उत्तर प्रदेश के तमाम दिग्गजों को झटका लगा है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी के साथ दो भाई चुनाव हार गए हैं। नरेंद्र मोदी सरकार में रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को भी हार झेलनी पड़ी जबकि उत्तर प्रदेश में गठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के कद्दावर नेता चौधरी अजित सिंह व उनके पुत्र जयंत चौधरी को भी हार झेलनी पड़ी है। अब उनकी पार्टी का अस्तित्व भी खतरे में हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव, दो चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव, केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा समेत कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में एक बार फिर उत्तर प्रदेश की जनता ने गठबंधन के जातिगत फैक्टर को नकारते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामों पर पर भरोसा जताया। उत्तर प्रदेश में भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल ने 80 लोकसभा सीटों में से 64 पर जीत हासिल की। प्रदेश में इस बार सपा-बसपा-रालोद गठबंधन का शो भी फ्लॉप रहा। बहुजन समाज पार्टी को दस तथा समाजवादी पार्टी को पांच सीट मिली है। राष्ट्रीय लोकदल तीन सीट पर लड़ी, लेकिन खाता भी नहीं खुला। इस चुनाव में कांग्रेस का अभेद्य किला अमेठी ढहा तो समाजवादी पार्टी के गढ़ में भी कमल खिला।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन किया। पार्टी ने छोटे दलों के साथ गठबंधन किया और 80 में से 70 सीट पर प्रत्याशी उतारे। इनमें से सिर्फ रायबरेली में ही पार्टी को जीत मिली। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी और फतेहपुर सीकरी से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर भी अपनी सीट नहीं बचा सके। इनके बड़े नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपएन सिंह, जितिन प्रसाद, सलमान खुर्शीद जैसे दिग्गज भी प्रियंका गांधी के मैदान में उतरने बावजूद जीत नहीं सके।
कल सुबह जब चुनाव के नतीजे आने शुरू हुए तो सबसे चौंकाने वाला नतीजा अमेठी से आया, जहां से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भाजपा की स्मृति ईरानी ने किसी भी राउंड में आगे नहीं निकलने दिया। वहीं रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह जाटों के गढ़ मुजफ्फरनगर और उनके बेटे जयंत चौधरी भी परंपरागत सीट बागपत नहीं बचा सके। फिरोजाबाद में यादव लैंड में आमने सामने चुनाव लड़ रहे चाचा शिवपाल यादव और उनके भतीजे अक्षय यादव की आपसी लड़ाई में भाजपा के चंद्रसेन जादौन फिरोजाबाद सीट से जीतने में कामयाब रहे।
उत्तर प्रदेश में 25 वर्ष पुरानी सियासी दुश्मनी को भुलाकारे बसपा के साथ मिलकर चुनाव लडऩे का फैसला भी अखिलेश यादव के काम नहीं आया। अखिलेश यादव अपनी सीट आजमगढ़ से तो जीत गए, लेकिन उनकी पत्नी सपा के गढ़ कन्नौज से बीजेपी के सुब्रत पाठक से हार गईं। शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को भी लखनऊ से हार का सामना करना पड़ा।
लोकसभा चुनाव में मोदी की सुनामी में भी केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा अपनी सीट नहीं बचा पाए। उन्हें गठबंधन की तरफ से बसपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने 119392 मतों से हराया। उनका मोदी का चेहरा और अपने विकास कार्यों के बदौलत चौथी बार संसद पहुंचने का सपना पूरा नहीं हो सका। इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका रालोद को लगा। रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह मुजफ्फरनगर सीट से भाजपा के संजीव बालियान से हार गए। गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे अजीत सिंह ने आखिरी चुनाव का दांव भी चला, लेकिन कुछ भी काम न आया। इतना ही नहीं उनके बेटे जयंत चौधरी भी बागपत से हार गए। उन्हें बीजेपी के सत्यपाल सिंह ने हराया।
मुलायम परिवार का रुतबा इस चुनाव में घटता नजर आया। यादवलैंड कहे जाने वाले बदायूं में मुलायम के भतीजे धर्मेंद्र यादव भाजपा की संघमित्रा मौर्य से हार गए। फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा का तीसरी बार संसद पहुंचने का सपना भी चकनाचूर हो गया। उन्हें सपा के आजम खान ने भारी मतों से हराया।