लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि 2022 की विधानसभा तैयारी में कार्यकर्ता आज से ही जुट जायें। भाजपा की जन विरोधी नीतियों से अवगत कराने का अभियान जोर शोर से चलाया जाना है। उन्होंने राज्य की जनता का गठबन्धन पर भरोसा करने के लिए आभार जताया है। सपा प्रमुख ने भाजपा को जुमलेबाजी तथा लोगों को भटकाने-बहकाने के काम में माहिर का आरोप लगाया और कहा कि उनको जवाब देने के लिए समाजवादियों को रक्षात्मक रणनीति के बजाय आक्रामकता का रास्ता अपनाना होगा। युवा नेतृत्व को वास्तविक तर्कों से लैस रहना चाहिए। समाजवादी पार्टी के डोर-टू-डोर अभियान के कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के सैकड़ों युवा नेता शामिल थे।
श्री यादव ने कहा कि भाजपा राज में जनता की हालत बहुत खराब है। सभी लोग परेशान हैं। भाजपा ने बेरोजगारी में वृृद्वि करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। किसान बदहाल है, उससे जो वादे किए गए, पूरे नहीं हुए हैं। महिलाएं असुरक्षित हैं। नोटबंदी और जीएसटी जैसे निर्णय ने पूरी अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया। व्यापारी समाज को असुविधा में फंसा दिया है। सपा अध्यक्ष ने यह भी कहा है कि भाजपा ने गठबन्धन समर्थकों को चुनावों से वंचित करने की साजिश रची, पर जनता का विश्वास गठबन्धन पर होने से वे विफल रहे। भाजपा की बदनामी गांव-गांव में है। अब महापरिवर्तन के लिए संघर्ष जारी रखना है। समाजवादी पार्टी के पास अपनी विचारधारा, सक्षम नेतृृत्व और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की फौज है।
सपा अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं को डोर-टू-डोर अभियान चलाने के लिए बधाई दी और कहा कि आपने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को जो गति दी वह सराहनीय है। समाजवादी पार्टी लोकतंत्र की मजबूती में यकीन रखती है। हमें अपना काम ईमानदारी से करना है और समाज को समाजवाद की विचारधारा के अनुरूप तैयार करना है। महापरिवर्तन के लिए इस अभियान को पूरी ताकत से चलाना है। इस कार्य में निष्ठा से जुड़े कार्यकर्ताओं का समायोजन भी किया जाएगा। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने सामाजिक विभाजनकारी नीति अपनाते हुए समाज को बांटने और उसमें नफरत फैलाने का काम किया है। भाजपा अफवाहें फैलाती है और एक झूठ को बार-बार दुहराती है ताकि सच्चाई पर पर्दा पड़ जाए। लोग भ्रमित हो जाएं। जातिवाद का जहर भी भाजपा फैलाती है। समाजवादी पार्टी से जुड़े नौजवानों को भाजपा की कुनीतियों के खिलाफ वैचारिक अभियान चलाने में जुट जाना चाहिए।