प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट की झलक केदारपुरी में दिखने लगी है। देश-दुनिया से आने वाले यात्रियों को इस बार केदारपुरी नए रूप-रंग में नजर आ रही है। मंदिर परिसर में जहां एक साथ तीन हजार यात्री खड़े हो सकते हैं, वहीं यात्री 200 मीटर दूर मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम से भी केदारनाथ मंदिर के दिव्य दर्शन कर रहे हैं।
वर्ष 2013 में आपदा के दौरान केदारपुरी में व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गई थी। बीते एक वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत काफी कार्य हुआ है। मंदिर परिसर पहले की तुलना में तीन गुना बड़ा हो गया है। जबकि, मंदिर के सामने 275 मीटर लंबा व 50 फीट चौड़ा रास्ता बनाया गया है। मंदिर के रास्ते में भी यात्रियों के बैठने के लिए व्यवस्था की गई है।
मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर यात्रियों के लिए चेंजिंग रूम बनाया गया है। इसके अलावा घाट बनने से वहां स्नान करना काफी सुविधाजनक एवं सुरक्षित हो गया है। अहमदाबाद (गुजरात) के 55 वर्षीय शिक्षक साधु भाई पटेल और प्रयागराज से आए 70 वर्षीय व्यापारी जनेश्वर तिवारी कहते हैं कि आपदा के बाद केदारपुरी का जो नया रूप सामने आया है, वह सम्मोहित कर देने वाला है।
इस बार आसान होंगे बाबा के दर्शन
इस बार श्रद्धालुओं को दर्शनों के लिए घंटों लाइन में खड़ा नहीं होना पड़ेगा। प्रशासन व मंदिर समिति की ओर से यात्रियों के लिए टोकन की व्यवस्था की गई है। बारी-बारी से दो-दो सौ यात्रियों को यह टोकन दिया जा रहा है। अब तक यात्रियों को दर्शनों में ही सबसे मुश्किल पेश आती थी और उन्हें लाइन में अपनी बारी का घंटों इंतजार करना पड़ता था। लेकिन, नई व्यवस्था के अनुसार अब वहीं श्रद्धालु लाइन में लगेगा, जिसका नंबर आएगा।
यात्रियों के ठहरने के पर्याप्त इंतजाम
केदारपुरी में रहने के लिए भी पक्के भवन बनकर तैयार हो गए हैं। प्रशासन ने तीर्थ पुरोहितों को पक्के भवन बनाकर दिए हैं। इनमें यात्रियों के रहने की व्यवस्था उपलब्ध है। इसके चलते छह हजार से अधिक यात्री केदारपुरी में ठहर सकते हैं।
मंदिर समिति ने किया भंडारे का आयोजन
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की ओर इस बार भी कपाट खुलने पर श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया। इसके अलावा मंदिर समिति ने दर्शनों को लाइन में लगे श्रद्धालुओं के लिए चाय की व्यवस्था भी की।
स्थानीय प्रसाद से बड़ी उम्मीद
स्थानीय लोगों की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए बीते वर्ष से शुरू की गई स्थानीय प्रसाद की व्यवस्था से इस बार प्रशासन को काफी उम्मीदें हैं। स्थानीय प्रसाद की बिक्री बढऩे से जहां स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, वहीं रोजगार के साधन भी विकसित होंगे।
आस्था के आगे बौनी पड़ी चुनौतियां
यह बाबा के प्रति भक्तों की अटूट आस्था ही तो है कि वह ऊंचे-ऊंचे हिमखंडों के बीच से खड़ी चढ़ाई चढ़कर बाबा के दर पर पहुंच रहे हैं। बर्फ से ढकी केदारपुरी में कड़ाके की ठंड भी भक्तों का उत्साह कम नहीं होने दे रही। पूरी केदारपुरी में अभी भी पांच फीट से अधिक बर्फ है और सुबह व रात के वक्त तापमान शून्य से नीचे चला जा रहा है।
16 किमी लंबे रास्ते में हिमखंडों को पार करना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। उस पर मौसम पल-पल करवट बदल रहा है। चारों धाम में सबसे कठिन यात्रा केदारनाथ की ही है। बावजूद इसके भक्तों में केदारनाथ आने को लेकर उत्साह देखते ही बनता है।
आपदा के बाद आसान हुई केदारपुरी की राह
नंदुरबार (महाराष्ट्र) से बाबा के दर्शनों को आए 65 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक केडी गिरासे कहते हैं कि वह बीते 15 वर्षों से कपाट खुलने के मौके पर लगातार यहां आ रहे हैं। लेकिन, इस बार व्यवस्थाएं काफी बदल चुकी हैं। आंध्र प्रदेश की 62 वर्षीय लक्ष्मी बहन कहती हैं कि पिछले 11 वर्षों से वह लगातार परिवार के साथ कपाट खुलने के मौके पर केदारनाथ आ रही हैं। अब केदारपुरी में ठहरने की भी कोई दिक्कत नहीं है।
बैंगलुरु (कर्नाटक) से आईं 40 वर्षीय ऊषा रानी कहती हैं कि वर्ष 2010 से लगातार केदारनाथ आ रही हैं। तब के मुकाबले अब यात्रा काफी आसान हो गई है। नगर पालिका श्रीनगर के पूर्व अध्यक्ष विपिन चंद्र मैठानी भी कपाट खुलने के मौके पर बीते 15 वर्षों से लगातार आ रहे हैं। वह कहते हैं कि बीते छह वर्षों में केदारपुरी में बहुत-कुछ बदला है। व्यवस्थाएं काफी चुस्त-दुरुस्त हैं।