चित्रकूट : वैशाख मास की शनिश्चरी अमावस्या मेले के उपलक्ष्य पर लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट पहुंचकर मन्दाकिनी नदी में स्नान कर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान कामतानाथ के दर्शन-पूजन के बाद कामदगिरि पर्वत की पंच कोसी परिक्रमा लगाई। मेले में लाखों श्रद्धालुओं के आगमन की संभावनाओं के कारण समूचे मेला परिक्षेत्र में जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे। शनिश्चरी अमावस्या मेले के उपलक्ष्य पर लाखों श्रद्धालुओं ने धर्म नगरी चित्रकूट पहुंच कर जीवन दायनी मां मंदाकिनी में आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद रामघाट तट पर प्राचीन शिव मंदिर स्वामी मत्गयेन्द्र नाथ का जलाभिषेक करने के बाद मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान कामतानाथ की पूजन-अर्चन किया।
इसके साथ ही भक्तों ने कामदगिरि पर्वत की पंचकोसी परिक्रमा की। अमावस्या मेले में लाखों तीर्थ यात्रियों के आगमन की संभावनाओं के मद्देनजर जिलाधिकारी विशाख एवं पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा द्वारा मेला परिक्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे। कामदगिरि प्रमुख द्वार के संत स्वामी मदन गोपाल दास महाराज ने शनिश्चरी अमावस्या का महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अमावस्या के दिन माता सती अनुसुईया के तपोबल से निकली मां मन्दाकिनी में स्थान करने एवं मनोकामनाओं के पूरक देवता भगवान कामता नाथ के दर्शन -पूजन एवं कामदगिरि पर्वत की पंच कोसी परिक्रमा लगाने से अंधकारमय जीवन प्रकाशवान हो जाता है। अमावस्या मेले के मद्देनजर तमाम समाजसेवियों द्वारा मेला परिक्षेत्र में भंडारे का आयोजन भी किया गया।