राफेल डील मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ताजा हलफनामा दाखिल कर पुनर्विचार याचिका पर आगे सुनवाई का विरोध किया है. केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि पुनर्विचार याचिकाओं पर आगे की सुनवाई का कोई आधार नहीं हैं, ऐसे में सभी याचिकाएं खारिज की जानी चाहिए. हलफनामे में सरकार ने कहा है कि सुरक्षा संबंधी गोपनीय दस्तावेजों के इस तरह सार्वजनिक खुलासे से देश के आस्तित्व पर खतरा हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट के राफेल के गोपनीय दस्तावजों के परीक्षण के फैसले से रक्षा, बलों की तैनाती, परमाणु प्रतिष्ठानों, आतंकवाद निरोधक उपायों आदि से संबंधित गुप्त सूचनाओं का खुलासा होने की आशंका बढ़ गई है. हलफनामे में सरकार ने ये भी कहा है कि राफेल पुनर्विचार याचिकाओं के जरिए सौदे की चलती-फिरती जांच की कोशिश की गई.
मीडिया में छपे तीन आर्टिकल लोगों के विचार हैं ना कि सरकार का अंतिम फैसला. ये तीन लेख सरकार के पूरे आधिकारिक रुख को व्यक्त नहीं करते हैं. सरकार ने यह भी कहा है कि सीएजी ने राफेल के मूल्य संबंधी जानकारियों की जांच की है और यह 2.86% कम है.
दरअसल, मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश अर्टनी जनरल केके वेणुगोपाल ने जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से चार हफ्ते का समय मांगा था लेकिन कोर्ट ने शनिवार तक जवाब दाखिल करने का समय दिया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस आपत्ति को खारिज कर दिया था, जिसमें गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर पुनर्विचार खारिज करने की मांग की गई थी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस आपत्ति को खारिज कर दिया था, जिसमें गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर पुनर्विचार खारिज करने की मांग की गई थी.
कोर्ट ने साफ किया था कि गोपनीय दस्तावेज के आधार पर आगे पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी. सरकार ने गोपनीय दस्तावेज के आधार पर पुनर्विचार खारिज करने की मांग की थी. दरअसल, 14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की शुरुआती आपत्तियों (गोपनीयता, विशेषाधिकार, राष्ट्रीय सुरक्षा) पर आदेश सुरक्षित रख लिया था.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल कर कहा था कि केंद्र सरकार की बिना मंजूरी के संवेदनशील दस्तावेजों की फोटोकॉपी की गई. इन दस्तावेजोंकी अनाधिकृत फोटोकॉपी के जरिये की गई चोरी ने देश की सुरक्षा, सम्प्रभुता और दूसरे देशों के साथ दोस्ताना संबंधों को बुरी तरह प्रभावित किया है. केंद्र ने कहा था कि पुनर्विचार याचिका के साथ सलग्न दस्तावेज एयरक्राफ्ट की युद्ध क्षमता से जुड़े है.
याचिकाकर्ताओं ने बेहद गोपीनाय जानकारी को लीक किया है. रक्षा मंत्रालय ने आगे हलफनामे में कहा था कि राफेल मामले में दायर पुनर्विचार याचिका सार्वजनिक रूप से सबको उपलब्ध है, हमारे प्रतिद्वंद्वी या दुश्मनों की भी इस तक पहुंच है. ये राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालना वाला है. आपको बता दें कि इस वक्त सुप्रीम कोर्ट राफेल डील के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने सौदे के बारे मे रक्षा मंत्रालय की उस फाइल नोटिंग को पेश किया जिसे हिन्दू अखबार ने छापा था, लेकिन अटार्नी जनरल ने इस पर आपत्ति जताई और कहा था कि ये चोरीकिया हुआ है जांच चल रही है मुकदमा किया जाएगा.
अटार्नी जनरल ने रक्षा मंत्रालय के नोट को संज्ञान मे लेने का विरोध किया था और कहा था कि यह गोपनीय दस्तावेज है.राफेल डील मामले में आप नेता संजय सिंह की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार किया था और कहा था कि न्यायपालिका के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणीके चलते संजय सिंह की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई नहीं की जाएगी.
कोर्ट ने संजय सिंह से पूछा क्यों न आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई चलाई जाए? कोर्ट ने संजय सिंह से जवाब मांगा था. उधर, अर्टनी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट बाताया था कि गोपनीय दस्तावेज लीक करने के मसले पर दो अखबारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे.