बालाकोट हमले के बाद आतंकी मसूद अजहर के एक बार फिर से सक्रिय होने की खबरें आ रही हैं. खुफिया सूत्रों के मुताबिक बालाकोट हमले के महज़ 5 दिन बाद ही मसूद अजहर ने आतंकियों को भारत पर बड़े हमले के लिए तैयार रहने को कहा था. खुफिया सूत्रों के मुताबिक मार्च और अप्रैल में रावलपिंडी और बहावलपुर में मसूद अजहर आतंकियों के साथ दो बार बैठक कर चुका है. बैठक में आईएसआई के भी अधिकारी मौजूद थे. उस बैठक में मसूद अजहर के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को और मजबूत किये जाने पर रणनीति भी बनी थी. ख़ुफ़िया एजेंसियों को इस बात का भी शक है कि पाकिस्तान दुनिया की आंखों में धूल झोंक रहा है. जैश पर कार्रवाई का महज नाटक कर रहा है.
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों पर हुए हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. उस आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी. उसके बाद से ही मसूद अजहर पर अंतरराष्ट्रीय शिकंजा कसता जा रहा है और उसको वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग उठ रही है.
अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का सवाल
इसी कड़ी में चीन ने मंगलवार को कहा कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित कराने के जटिल मुद्दे का उचित समाधान निकाला जाएगा, लेकिन उसने कोई समयसीमा नहीं बताई. कुछ दिन पहले यहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात के बाद चीन का यह रुख आया है.
चीन ने पाकिस्तानी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख पर प्रतिबंध लगाने के एक नये प्रस्ताव पर मार्च में तकनीकी रोक लगा दी थी. जैश ने पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी. चीन ने अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित करने के चौथे प्रयास पर रोक लगा दी. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘मैं केवल इतना कह सकता हूं कि मुझे भरोसा है कि उचित तरीके से इसका समाधान निकलेगा.’’
वह इन खबरों के बारे में पूछे गये सवालों का जवाब दे रहे थे कि चीन ने अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध करने के फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के एक ताजा प्रस्ताव पर तकनीकी रोक हटाने पर सहमति जता दी है. इस बार अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने मुद्दे को सीधे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जा कर बीजिंग पर दबाव बढ़ा दिया है.
अजहर के मुद्दे पर विभिन्न प्रश्नों का उत्तर देते हुए गेंग ने कहा, ‘‘1267 समिति में इस मुद्दे को सूचीबद्ध करने के संबंध में हमने कई बार अपना रुख स्पष्ट किया है और मैं केवल दो बिंदुओं पर जोर देना चाहता हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहला तो हम 1267 समिति में संवाद और परामर्श के माध्यम से सूचीबद्ध मुद्दे के समाधान का समर्थन करते हैं और मेरा मानना है कि इसमें अधिकतर सदस्यों की आम-सहमति है. दूसरा यह कि समिति में संबंधित परामर्श चल रहा है और इसमें कुछ प्रगति हुई है. तीसरा, मेरा मानना है कि सभी पक्षों के संयुक्त प्रयासों के साथ इस मुद्दे को उचित तरीके से हल किया जा सकता है.’’
चीन के तकनीकी पाबंदी एक मई को हटाने की खबरों पर गेंग ने कहा, ‘‘सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर चीन अब भी संबंधित दलों के साथ प्रयास कर रहा है और 1267 समिति के तहत सभी संबंधित पक्षों के साथ संपर्क में हैं. मेरा विश्वास है कि सभी पक्षों के संयुक्त प्रयासों से उचित समाधान निकाल लिया जाएगा.’’