पंजाब की सभी 13 सीटों पर सब पार्टियों के उम्मीदवार फाइनल हो गए हैं….

 पंजाब की सभी 13 सीटों पर सब पार्टियों के उम्मीदवार फाइनल हो गए हैं। हॉट सीट गुरदासपुर से भाजपा ने सिने स्टार सनी देओल को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला कांग्रेस के सुनील जाखड़ से होगा। वहीं, शिरोमणि अकाली दल ने भी आखिरकार बठिंडा लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल व फिरोजपुर से पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल को उम्मीदवार घोषित कर सस्पेंस खत्म कर दिया है।

होशियारपुर सीट से भाजपा ने केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला का पत्ता काटकर उनके विरोधी फगवाड़ा से पार्टी के विधायक सोम प्रकाश को प्रत्याशी घोषित किया है। सनी देओल के चुनावी रण में कूदने से पंजाब का सियासी पारा एक दम चढ़ गया है। गुरदासपुर सीट से अभिनेता विनोद खन्ना जीतते रहे हैं। खन्ना के निधन के बाद हुए उपचुनाव में यह सीट कांग्रेस के कब्जे में आ गई थी।

हरसिमरत लगातार तीसरी बार बठिंडा से मैदान में होंगी। सुखबीर चौथी बार लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल ने अपने हिस्से की सभी दस सीटों पर और उनकी सहयोगी भाजपा ने तीन सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए हैं। शिअद उम्मीदवारों की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने की।

नाराज सांपला बोले- भाजपा ने गऊ हत्या कर दी, नाम के आगे से ‘चौकीदार’ भी हटाया

होशियारपुर से टिकट कटने पर केंद्रीय मंत्री विजय सांपला ने ट्वीट कर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा- बहुत दुख की बात है। भाजपा ने गऊ हत्या कर दी। कोई दोष तो बता देते? मेरी गलती क्या है कि…. 1. मुझ पर भ्रष्टाचार का कोई इल्जाम नहीं है। 2. आचरण पर कोई अंगुली नहीं उठा सकता। 3. क्षेत्र में एयरपोर्ट बनवाया। रेलगाड़ियां चलाईं। सड़कें बनवाईं। अगर यही दोष है तो मैं अपनी आने वाली पीढ़ियों को समझा दूंगा कि वह ऐसी गलतियां न करें। इसके साथ ही उन्होंने अपने नाम के आगे से ‘चौकीदार’ शब्द भी हटा दिया है।

इसलिए सुखबीर मैदान में

बेअदबी कांड के बाद अकाली दल में मची खलबली से कार्यकर्ता हताश हैं। सुखबीर की जीत पार्टी को मजबूत करने के साथ वर्करों में नया जोश भर सकती है।

तीन बार जीते, एक बार हारे

सुखबीर बादल 1996 में फरीदकोट सीट से पहली बार लोक सभा चुनाव लड़े और जीते। 1998 में दूसरी बार सांसद बने। 1999 में कांग्रेस के जगमीत बराड़ ने 5,148 वोटों से हराया। 2004 में कांग्रेस की करण कौर बराड़ को हरा कर दोबारा जीते।

इसलिए हरसिमरत पर दांव

हरसिमरत लगातार हलके में एक्टिव हैं। हलका बदलने से कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जा सकता था। उनकी जीत से बठिंडा में शिअद का गढ़ और मजबूत होगा। दोबारा सरकार बनने की स्थिति में उनका मंत्री पद भी पक्का है।

लगातार दो बार से सांसद

2009 में हरसिमरत कौर बादल ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे रणइंदर सिंह को एक लाख से भी ज्यादा वोटों से हराया था। 2014 में वे अपने देवर मनप्रीत बादल को हराकर लोकसभा पहुंचीं। इस बार उन पर हैट्रिक का दबाव है।

इसलिए सनी को उतारा

वर्ष 1998 में विनोद खन्ना को मैदान में उतारकर भाजपा ने कांग्रेस की इस पुरानी सीट पर कब्जा जमाया लिया था। वर्ष 2009 को छोड़कर विनोद खन्ना लगातार इस सीट से जीतते आए थे। उनके निधन के बाद उपचुनाव में यह सीट फिर कांग्रेस के कब्जे में चली गई। भाजपा का मानना है कि सेलिब्रिटी के आने से ये सीट फिर उनके खाते में आ सकती है।

पहली बार चुनावी मैदान में

सनी देओल पहली बार चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। उनके पिता धर्मेंद्र का पुश्तैनी घर लुधियाना के गांव साहनेवाल में है। धर्मेंद्र लगातार यहां आते रहते हैं।

इसलिए सोम प्रकाश पर भरोसा

होशियारपुर से उतारे गए  रिटायर्ड आइएएस अफसर सोम प्रकाश लगातार दो बार से भाजपा की फगवाड़ा सीट से विधायक हैं। उम्मीदवार बनाए जाने के बाद सांपला गुट के साथ नाराजगी और बढ़ सकती है।

इनसे मुकाबला

बठिंडा

हरसिमरत कौर बादल- शिअद

अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग- कांग्रेस

बलजिन्दर कौर- आम आदमी पार्टी
सुखपाल सिंह खैहरा- पंजाब एकता पार्टी 

फिरोजपुर
सुखबीर बादल- शिअद

शेर सिंह घुबाया- कांग्रेस
हरजिंदर सिंह काका- आप
हंस राज काका- पीडीए

गुरदासपुर
सुनील जाखड़- कांग्रेस

सनी देओल- भाजपा

पीटर मसीह- आप
पीडीए- लाल चंद

होशियारपुर
डॉ. राजकुमार चब्बेवाल- कांग्रेस

सोमप्रकाश -भाजपा
डॉ. रवजोत सिंह- आप
खुशी राम- पीडीए

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