प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी सौभाग्य योजना में ऊर्जा निगम के अधिकारियों का एक नया खेल सामने आया है। निगम अधिकारियों का दावा है कि योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक दो लाख 32 हजार 308 उपभोक्ता लाभान्वित हो चुके हैं और 31 मार्च 2019 तक दो लाख 50 हजार उपभोक्ताओं को विद्युत कनेक्शन दिए जाने थे। जबकि, निगम की ओर से वर्ष 2017-18 में किए गए सर्वे में उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत सुविधा से वंचित उपभोक्ताओं की संख्या एक लाख 85 हजार बताई गई थी। ऐसे में 65 हजार उपभोक्ता कैसे बढ़ गए, यह समझ से परे है। सौभाग्य में काम कर रहे ऊर्जा निगम के मुख्य अभियंता आरएस बुर्फाल तक इस आंकड़े पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने के लिए केंद्र की ओर से प्रदेश में पहले से ही पंडित दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना चलाई जा रही है। इसके तहत जो डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) ऊर्जा निगम ने केंद्र को भेजी, उसमें प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत सुविधा से वंचित परिवारों की संख्या एक लाख 85 हजार बताई गई। योजना के तहत इसमें से 96976 बीपीएल संयोजनों के लिए अनुबंध भी किया जा चुका था। जबकि, ‘सौभाग्यÓ योजना के तहत ऊर्जा निगम 31 जनवरी तक प्रदेश में दो लाख 32 हजार 308 कनेक्शन जारी कर चुका है और 12362 कनेक्शनों के लिए विभाग में पंजीकरण हो चुका है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जब प्रदेश में विद्युत सुविधा से वंचित परिवारों की संख्या एक लाख 85 हजार है तो फिर 65 हजार और उपभोक्ता निगम ने कहां से पैदा किए।
पलायन आयोग की रिपोर्ट भी खोल रही निगम के दावों की खोल
ऊर्जा निगम के अधिकारी दावा कर रहे कि प्रदेश में उपभोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है और इस हिसाब से कनेक्शन भी बढ़ रहे हैं। हालांकि, शहरी क्षेत्रों के लिए निगम का दावा बिल्कुल सटीक है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की संख्या में एकाएक बढ़ोत्तरी किसी के गले नहीं उतर रही। पलायन आयोग की रिपोर्ट पर गौर करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी लगातार घट रही है और प्रदेशभर में 1702 गांव पूरी तरह मानवविहीन हो चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मानवविहीन गांवों को भी निगम की ओर से इलेक्ट्रीफाई कर दिया गया।
ऊर्जा निगम का तर्क
ऊर्जा निगम का तर्क है कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम योजना की डीपीआर काफी पहले भेजी गई थी। इसमें अविद्युतीकृत ग्रामों का विद्युतीकरण, प्रणाली सुदृढ़ीकरण, मीटङ्क्षरग आदि का काम भी शामिल था। तब से लेकर अब तक उपभोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। ‘सौभाग्य’ योजना की शुरुआत मार्च 2018 में हुई थी और उसी के हिसाब से कनेक्शन दिए जा रहे हैं। ऊर्जा निगम के मुख्य अभियंता एवं प्रवक्ता एके सिंह का कहना है कि योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी तरह की अनियमितता नहीं बरती जा रही।
सौभाग्य में दिए गए कनेक्शन
- जिला—————कनेक्शन
- अल्मोड़ा—————9284
- बागेश्वर—————6332
- चमोली—————7767
- चंपावत—————6857
- देहरादून————-34727
- पौड़ी—————9429
- हरिद्वार———–41048
- नैनीताल————20134
- पिथौरागढ़————9650
- रुद्रप्रयाग————3343
- टिहरी————–11208
- ऊधमसिंहनगर—-46392
- उत्तरकाशी——–11121
(नोट: यह आंकड़ा 31 दिसंबर 2018 तक का है।)