प्रियंका चतुर्वेदी का नाम पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियां बटोर रहा है। राजनीति हलकों की बात करें तो वहां पर इस नाम की चर्चा काफी तेज हो गई है। आपकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए बता दें कि प्रियंका ने कांग्रेस का दामन छोड़कर आज ही शिवसेना का हाथ थाम लिया है। प्रियंका चतुर्वेदी कांग्रेस की तेज तर्रार प्रवक्ता थीं। वह अकसर न्यूज चैनलों पर होने वाली राजनीतिक बहस में कांग्रेस के पक्ष को मजबूती से रखते हुए नजर आती थीं। उन्होंने पार्टी प्रमुख राहुल गांधी को अपना इस्तीफा दिया था। वह बीते कई दिनों से संगठन में अपनी उपेक्षा और उनके साथ कुछ नेताओं की कथित बदसलूकी से नाराज थीं।
कांग्रेस का हाथ छोड़ने की ये बनी वजह
प्रियंका ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मथुरा में राफेल डील को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस दौरान कांग्रेस के ही कार्यकर्ताओं ने प्रियंका से अभद्र व्यवहार किया था, जिसकी शिकायत उन्होंने कांग्रेस अनुशासनात्मक कमेटी से की थी। उनकी शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आरोपियों पर कार्रवाई भी की गई लेकिन बाद में पार्टी ने दोषी कार्यकर्ताओं के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही को निरस्त कर दिया था। इस पूरे प्रकरण ने ने उनकी नाराजगी को बढ़ा दिया था और उन्होंने कांग्रेस से अलग होने का मन बनाया था।
ट्विटर पर निराशा
इस प्रकरण से निराश प्रियंका ने इसका जिक्र ट्विटर पर भी किया था। उन्होंने लिखा था कि ‘बड़े ही दुख की बात है कि पार्टी मारपीट करने वाले बदमाशों को अधिक वरीयता देती है, बजाय जो खून पसीने के साथ काम करते हैं। पार्टी के लिए मैंने अभद्र भाषा से लेकर हाथापाई तक झेली, लेकिन फिर भी जिन लोगों ने मुझे पार्टी के अंदर धमकी दी, उनके साथ कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई। वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं।’
शिवसेना में शामिल होने पर दिया बयान
पार्टी में शामिल होते ही उन्होंने साफ कर दिया है कि उन्होंने टिकट ना मिलने की वजह से कांग्रेस नहीं छोड़ी है। उन्होंने कहा मैं कांग्रेस से टिकट मांग रही थी ,लेकिन मेरे लिए महिला सम्मान बड़ा मुद्दा है। पार्टी में मेरा सम्मान नहीं हुआ मेरे साथ अभद्रता हुई। इसे लेकर मेरी पार्टी से नाराजगी थी। मैं सेवा की निष्ठा से शिवसेना के साथ जुड़ रही हूं। मैं अपने मुद्दों की लड़ाई लड़ रही हूं। उन्होंने आगे कहा कि मैं मुंबई की रहने वाली हूं ऐसे मैं मेरे पास शिवसेना से बेहतर कोई विकल्प नहीं था। उद्धव ठाकरे ने प्रियंका का स्वागत करते हुए कहा कि वो उन्हें सिर्फ महाराष्ट्र में नहीं बल्कि दूसरें राज्यों में भी जिम्मेदारी देंगे।
ये भी है प्रियंका की पहचान
लेकिन प्रियंका का राजनीतिक प्रोफाइल सिर्फ यहीं तक नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि वह सिर्फ राजनीति के कारण की चर्चा का विषय बनी हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के अलावा वह तहलका, डीएनए और फर्स्टपोस्ट की स्तंभकार रही हैं। इसके अलावा वह दो एनजीओ भी चलाती हैं और बच्चों की शिक्षा, महिला शशक्तिकरण और हैल्थ को लेकर भी काम भी करती हैं। वह बुक रिव्यू को लेकर एक ब्लॉग भी चलाती हैं जो भारत के टॉप-10 में गिना जाता है।
बेटी को धमकी मिलने पर भी नहीं हुई चुप
प्रियंका कांग्रेस की बेहद प्रखर प्रवक्ता रही हैं। इसी वजह से पिछले वर्ष जुलाई में उन्हें यहां तक धमकी मिली थी कि यदि वह चुप नहीं रहीं तो उनकी बेटी का दुष्कर्म कर दिया जाएगा। इसकी मुंबई में इसकी शिकायत के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था। आरोपी के खिलाफ पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने इस घटना के बाद एक कॉलेज में अपने भाषण के दौरान यहां तक कहा था कि इसे एक सामान्य बात नहीं बनने दें। उनका कहना था कि डिजिटल सहिष्णुता उतनी ही जरूरी है जितनी लोकतांत्रिक सहिष्णुता जरूरी है और अगर सभी लोगों की आवाज को लोकतंत्र में नहीं सुना गया तो यह जीवित नहीं रहने वाला है।
निजी जीवन
प्रियंका का जन्म 19 नवंबर 1979 को मुंबई में हुआ था। जुहू के स्कूल से उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पूरी की और फिर विलेपार्ले के कॉलेज से कॉमर्स में डिग्री हासिल की। बाद में उनका परिवार उत्तर प्रदेश आ गया। राजनीति में आने से पहले उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक इवेंट और मीडिया कंपनी में डायरेक्टर के रूप में की थी। वह प्रयास चेरिटेबल ट्रस्ट की ट्रस्टी भी हैं जिसके माध्यम से दो स्कूल भी चलाए जाते हैं। 2010 में वह कांग्रेस में शामिल हुई थीं। उन्हें नॉर्थ-वेस्ट मुंबई की यूथ कांग्रेस का महासचिव बनाया गया था। इसके बाद वह तब भी सुर्खियों में आई थी जब गोल्डमेन सेक फाउंडेशन फॉर वूमेन इंटरप्रिन्योर्स ने उन्हें दुनिया भर से चुनी गई महिलाओं को एक सर्टिफिकेट प्रोग्राम के लिए चुना था।