बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने बड़ा बयान दिया है और दावा किया है कि लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान एनडीए छोड़कर महागठबंधन में आना चाहते थे, लेकिन मैंने उनकी महागठबंधन में एंट्री रोक दी। मांझी के इस बयान के बाद बिहार में राजनीतिक बयानबाजी को हवा मिल सकती है।
जीतनराम मांझी ने कहा कि रामविलास पासवान एनडीए से अलग होना चाह रहे थे और इसको लेकर रामविलास पासवान ने लालू यादव के कई बार बात भी की थी। मांझी ने कहा कि इस बात पर जब लालू यादव ने मुझसे सुझाव लिया तो मैंने मना कर दिया और इस तरह पासवान की महागठबंधन में एंट्री नहीं हो पायी।
मांझी ने और एक खुलासा किया और कहा कि मैंने उपेन्द्र कुशवाहा के बारे भी लालू यादव को आगाह करते हुए कहा था कि उनके महागठबंधन में शामिल होने से कोई लाभ नहीं होगा। हां, महागठबंधन में आने से कुशवाहा को जरूर इसका लाभ होगा।
उधर, रामविलास पासवान के महागठबंधन में जाने की चाहत पर मांझी के दावे को जदयू ने बेवजह की बात कहकर इसे सिरे से गलत करार दिया है। पार्टी के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि पासवान जी एनडीए का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनका राजनीतिक कद बहुत बड़ा है और वो कभी लालू के साथ नही जाने वाले थे ना जाएंगे।
इससे पहले गुरुवार को ही बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दावा किया था कि सीबीआइ से बचने के लिए लालू यादव ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी और कहा था कि अगर उन्हें मदद मिलती है तो 24 घंटे के अंदर नीतीश कुमार का ‘इलाज’ कर देंगे। उनके इस बयान पर भी जमकर बयानबाजी हुई थी।