इस पाश्चात्य शाष्त्रीय संगीत समारोह में प्रख्यात संगीतज्ञ विजय उपाध्याय के नेतृत्व में वियना यूनिवर्सिटी फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा, इण्डिया नेशनल यूथ आर्केस्ट्रा एवं क्वायर एवं डोमिनिकन रिपब्लिक के संगीतज्ञ सामूहिक रूप से चुनिन्दा प्रेरणादायी प्रस्तुतियाँ देंगे, जिनमें बोरोडिन के पोलोवेत्सियन नृत्य, शाइकोवस्की नटक्रैकर बैले एवं ग्रीग के पेयर जिन्ट आदि प्रमुख हैं। समारोह का विशेष आकर्षण विजय उपाध्याय के संगीत निर्देशन में तैयार किया गया भारतीय एवं पाश्चात्य संगीत का मिश्रण ‘सन्मति’ है, जो कि महात्मा गाँधी के प्रिय भजनों ‘रघुपति राघव’ एवं ‘वैष्णव जन तो’ पर आधारित है और पहली बार इस लाजबाब गीत-संगीत का प्रस्तुतिकरण किया जा रहा है। यह संगीत प्रस्तुति इस बात को स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है कि संगीत लोगों के बीच की दूरियों को मिटाकर एकता से सूत्र में पिरोने का सशक्त माध्यम है। पाश्चात्य संगीत का यह समारोह सी.एम.एस. की मेजबानी में आयोजित किया जा रहा है, जो ‘जय जगत’ अर्थात ‘समस्त मानवता का कल्याण हो’ की विचारधारा पर आधारित है। इस समारोह में सी.एम.एस. के 80 शिक्षक एवं छात्र भी इण्डियन नेशनल यूथ क्वायर के रूप में प्रतिभाग कर रहे हैं।
इस संगीत समारोह का उद्घाटन प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित द्वारा किया जायेगा जबकि आस्ट्रिया के राजदूत ब्रिगिटे ओपिन्जर वाल्शोफर, लक्जमबर्ग के राजदूत जीन क्लाडिया कॉगनर, ए.बी.आर.एस.एम. के कामर्शियल डायरेक्टर जेरेमी फिलिप्स, डोमिनिकन गणराज्य के नेशनल यूथ आर्केस्ट्रा के डायरेक्टर अल्बर्टो रिन्कॉन एवं इण्डियन नेशनल यूथ आर्केस्ट्रा एवं क्वायर की मैनेजिंग डायरेक्टर सोनिया खान आदि विशिष्ट अतिथि के रूप में गरिमामय उपस्थिति दर्ज करायेंगे। इसके अलावा, सी.एम.एस. के छात्रों व शिक्षकों के अलावा बड़ी संख्या में लखनऊ के प्रबुद्ध नागरिक इस अवसर पर उपस्थित होंगे। इस समारोह को ए.बी.आर.एस.एम., आस्ट्रियल कल्चरल फोरम, फर्टाडोस एवं जसुभाई फाउण्डेशन का समर्थन प्राप्त है। इस संगीत समारोह के प्रतिभागी संगीतज्ञों में आस्ट्रिया, बुल्गारिया, चीन, डोमिनिकन गणराज्य, फ्रांस, जार्जिया, जर्मनी, ईरान, इटली, लक्जमबर्ग, रोमानिया, रूस, स्लोवेनिया, स्विटजरलैंड, ब्रिटेन, बांग्लादेश एवं भारत के संगीतज्ञ शामिल हैं। इसके साथ ही, वायलिन, वायलास, चेलोज, डबल बेस, हाप, बांसुरी, फ्रेन्च हार्न, ओब, क्लैरिनेट, ट्राम्बोन, ट्रम्पेट, टुबास, ड्रम, टिम्पनी आदि वाद्ययंत्रों का उपयोग किया जायेगा।