विश्व कल्याण की कामना लेकर भू-वैकुंठ बदरीनाथ धाम की दंडवत (जमीन पर लेटकर) पैदल यात्रा पर निकले भोपाल (मध्य प्रदेश) के पंडा प्यारेलाल प्रजापति पत्नी और तीन अन्य साथियों के साथ नंदप्रयाग पहुंचे। यहां उन्होंने अलकनंदा व नंदाकिनी नदी के संगम पर स्नान किया। वह 10 मई को बदरीनाथ के कपाट खुलने पर वे मंदिर में अखंड ज्योति के दर्शन करेंगे।
पंडा प्यारेलाल प्रजापति ने बताया कि उन्होंने अपने साथियों के साथ 21 सितंबर 2018 को भोपाल से दंडवत पैदल यात्रा की शुरुआत की थी। इस बार वे बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने पर अपने साथ लाए नर्मदा नदी के जल से भगवान बदरी नारायण का अभिषेक करेंगे।
इसके बाद उनका तृतीय केदार तुंगनाथ से त्रियुगीनारायण, प्रथम केदार केदारनाथ व गंगोत्री धाम होते हुए वैष्णो देवी के दर्शनों का कार्यक्रम है। अब तक वे चारों धाम सहित 500 से अधिक तीर्थ स्थलों के दर्शन कर चुके हैं। लेकिन, देवभूमि उत्तराखंड जैसी शांति की अनुभूति कहीं नहीं हुई।
प्यारेलाल कहते हैं कि भले ही इस बार पैदल यात्रा के दौरान रोड कटिंग का मलबा परेशानियां खड़ी कर रहा है, लेकिन इससे उनके इरादे में कोई बदलाव नहीं आया। वह जानते हैं कि प्रभु की प्राप्ति सुलभ नहीं है। इस मृत्युलोक में कष्ट झेलने के बाद ही सुकून मिलता है।
बताया कि इस यात्रा में पत्नी कलावती और साथी द्वारका प्रसाद, भ्रमरी बाई व संदीप उनके सहयोगी की भूमिका में हैं। अब तक वे 1600 किमी की दंडवत पैदल यात्रा कर चुके हैं और रोजाना पांच से छह किमी का सफर तय करते हैं। नौजवानों को सद़्बुद्धि प्रदान करने, शहीद सैनिकों की आत्म शांति और देश में सुख-समृद्धि के लिए वह यह यात्रा कर रहे हैं।
प्यारेलाल ने बताया कि गृहस्थ आश्रम का फर्ज निभाने के बाद धार्मिक जनजागरण को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए उन्होंने सपत्नीक संन्यास ले लिया है। परिजनों ने भी उनके इस संकल्प को पूरा करने में सहयोग किया।
बताया कि अब तक वे देश के विभिन्न मठ-मंदिरों सहित चारधाम की दस यात्राएं पूरी कर चुके हैं। यह बदरीनाथ धाम की उनकी चौथी यात्रा है। जिसे वे दंडवत पूरा कर रहे हैं।