बाराबंकी : प्रारम्भिक अवस्था मे ही नवजात शिशुओं मे होने वाली बीमारी की पहचान कर उन्हे गंभीर होने से बचाया जा सकता है। एक मिनट मे ली गयी साँसों की गिनती से हम बीमारी को शुरुवात मे ही पहचान सकते हैं। एसीएमओ (आरकेएच) डॉ महेन्द्र सिंह नोडल अधिकारी ने बताया कि जन्म से दो महीने तक के नवजात शिशुओं की एक मिनट मे ली गयी सांसें 60 या 60 से अधिक है तो शिशु की सांस तेज है और इनमे इन्फेक्शन (गंभीर जीवाणु संक्रमण) की संभावना हो सकती है। ऐसे शिशुओं को तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है।
बीमार शिशु बड़े बच्चों की तुलना मे कुछ अलग होते हैं। इनमें अक्सर सुस्त पड़ना, शरीर का कम तापमान या बुखार जैसे आम लक्षण ही दिखाई देते हैं। तेज सांस, शिशुओं मे गंभीर बीमारी का संकेत है। ऐसे शिशु, सामान्य शिशुओं की तरह दिखाई दे सकते हैं लेकिन उपचार न मिलने पर इनकी स्थिति गंभीर हो सकती है और कुछ घंटों या दिनों मे इनकी मृत्यु भी हो सकती है । इन्ही कारणो से नवजात शिशुओं की देखभाल अलग ढंग से की जाती है। सुरेन्द्र कुमार डीसीपीएम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने बताया कि जिले की 3066 आशाओं को नवजात शिशुओं के देखभाल का तरीका अलग-अलग कई प्रशिक्षणों के माध्यम से सिखाया गया है। प्रशिक्षित आशाएँ गृह भ्रमण के दौरान नवजात शिशुओं की अन्य देखभाल के साथ साथ साँसों की गिनती भी करती हैं । इसके लिए विभाग द्वारा इन्हें डिजिटल घड़ी भी उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने बताया कि एक मिनट मे ली गयी साँसों की गति तेज होने पर आशाएँ शिशुओं को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर रेफर भी करती हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल 2018 में 72 प्रतिशत की अपेक्षा इस वर्ष 2019 में करीब 88 प्रतिशत प्रशिक्षित आशाओं ने घर-घर जाकर नवजात शिशुआ की देखभाल करने में तेजी लायी है।