माले. मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी आम चुनाव में एकतरफा जीत की तरफ बढ़ रही है। अब तक के नतीजों में पार्टी को दो-तिहाई बहुमत मिलता दिख रहा है। इस जीत के साथ पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की वापसी को मजबूती मिल सकती है। नशीद पर दो साल पहले विपक्षी पार्टी के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आतंकवाद का आरोप लगाया था। इसके बाद उन्हें देश छोड़ना पड़ा था।
पिछले साल ही हुई मालदीव में नशीद की वापसी
मालदीव में पिछले साल सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच विवाद के बाद राजनीतिक हालात बिगड़ गए थे। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव में अब्दुल्ला यामीन की हार और नशीद के करीबी मोहम्मद सोलिह की जीत के बाद स्थिति सामान्य हो रही है। संसदीय चुनाव में भी सोलिह की पार्टी जीत की तरफ बढ़ रही है। स्थानीय मीडिया का अनुमान है कि पार्टी 87 में से 60 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है।
भारत समर्थक हैं मोहम्मद नशीद
2008 में मालदीव में लोकतंत्र की स्थापना के बाद मो. नशीद प्रेसिडेंट बने थे। 2015 में उन्हें आतंकवादी विरोधी कानूनों के तहत सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। हालांकि, 2018 में देश में उभरे राजनीतिक संकट पर उन्होंने भारत से सैन्य दखल की अपील की थी। भारत ने भी कूटनीतिक तौर पर यामीन के शासन पर चिंता जताते हुए चुनावों में सोलिह को समर्थन जताया था।
माना जाता है कि मोहम्मद सोलिह की जीत में वहां रहने वाले भारतीय समुदाय का बड़ा हाथ था। नशीद सत्ता बदलने के बाद ही वापस मालदीव लौटे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मालदीव के साथ मजबूती दिखाने के लिए सोलिह के शपथ ग्रहण में पहुंचे थे। यहां नशीद और सोलिह दोनों ने मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया था।
मालदीव भारत के लिए अहम
हिंद महासागर में स्थित मालदीव कूटनीतिक और सामरिक दृष्टि से भारत के लिए काफी अहम है। यहां से भारत के समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा पर नजर रखी जा सकती है। भारत युद्धपोत, हेलिकॉप्टर, रडार के अलावा कई परियोजनाओं के लिए मालदीव को सहायता देता रहा है।