दलित राजनीति में राज्?य के दो बडे चेहरे के भाग्य का फैसला इसी चरण में होना है। चार सीटों के लिए होने जा रहे पहले चरण के मतदान में जमुई से रामविलास पासवान के बेटे चिराग मैदान में हैं तो गया से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के सुप्रीमो जीतन राम मांझी खुद ताल ठोंक रहे हैं। दोनों दलित नेताओं का राजनीतिक भविष्?य इस चुनाव के परिणाम पर निर्भर करता है। गया (सुरक्षित), जमुई (सुरक्षित), नवादा और औरंगाबाद में होने जा रहे पहले चरण के मतदान में एक-एक पर जदयू, राजद और भाजपा है जबकि लोजपा और हम दो-दो सीटों पर भाग्य आजमा रहा है।
वैसे लोजपा और हम आपस में कहीं नहीं टकरा रहे हैं, लेकिन अपनी-अपनी सीट पर दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। उल्लेखनीय है कि चार सीटों पर 11 अप्रैल को मतदान होना है। 70.37 लाख मतदाता 7486 बूथों पर कुल 44 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। बिहार में दलित के सबसे बडे चेहरे होने का दावा करनेवाले रामविलास पासवान इस बार खुद मैदान में नहीं हैं। ऐसे में उनके बेटे चिराग पासवान की जीत हार से ही उनकी विरासत का भविष्य? तय होगा।
लोजपा के चिराग के सामने रालोसपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी को उतारा है। पिछले चुनाव में चिराग पासवान का मुकाबला राजद के सुधांशु शेखर और जदयू के उदयनारायण चौधरी से था। चिराग को जहां 285354 मत मिले थे वही सुधांशु को 199407 और उदय को 198599 मत मिले थे। इस बार यहां सीधा मुकाबला है। उदय नारायण चौधरी का मैदान में नहीं होना किसके लिए मददगार साबित होगा यह देखना दिलचस्?प होगा। रालोसपा के भूदेव चौधरी को राजद का समर्थन है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के बाद चिराग कीजीत यहां बहुत मुश्किल नहीं दिख रही है।
वहीं गया (सुरक्षित) सीट से जीतनराम मांझी का मुकाबला इस बार जदयू के विजय मांझी से है। 2014 में जीतनराम मांझी इसी सीट से जदयू के टिकट पर मैदान में उतरे थे और 131828 मत पाकर तीसरे स्?थान पर रहे थे। भाजपा के हरि मांझी को सबसे अधिक 326230 मत मिला था जबकि राजद के रामजी मांझी दूसरे स्?थान पर 210726 मत पाये थे। इस बार के नये समीकारण में जीतन राम मांझी की राह बहुत आसान नहीं है। वैसे राहुल गांधी की सभा के बाद उनकी स्थिति में मजबूती आने की बात कही जा रही है।
दोनों दलित क्षत्रपों को अपनी सीट के साथ ही दल को मिली सीट पर भी जीत सुनिश्चित करनी होगी। औरंगाबाद में भाजपा के सुनील सिंह का सीधा मुकाबला हम के उपेंद्र प्रसाद से है। हम ने यह सीट कांग्रेस को नाराज कर पायी है। कांग्रेस इस सीट पर अपना दावा अंतिम समय तक करती रही। पिछले चुनाव में यहां से भाजपा के सुशील को 307941 मत आये थे जबकि कांग्रेस के निखिल कुमार को 241594 मत आये थे और वो दूसरे स्थान पर रहे थे। जदयू के बागी कुमार को 136137 मत से ही संतोष करना पडा था। इस बार कांग्रेस की परंपरागत रही इस सीट पर निखिल कुमार के नाराज समर्थक उपेंद्र प्रसाद के लिए मुश्किलें खडी कर सकते हैं।
ऐसे में भाजपा की जीत यहां बहुत मुश्किल नहीं दिख रही है। इसी प्रकार नवादा सीट पर लोजपा के चंदन कुमार का मुकाबला राजद की विभा देवी से है। गिरिराज सिंह के बगूसराय जाने के बाद यह सीट भाजपा ने लोजपा को दी है। सुरजभान सिंह का इस इलाके में अपनी पकड है। राजद की ओर से पिछले चुनाव में राजबल्लभ यादव मैदान में थे, बलात्?कार मामले में सजा होने के बाद इस बार उनकी पत्?नी को मैदान में उतारा गया है। जातीय समीकरण और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से यहां के नतीजे प्रभावित होंगे। ऐसे में यह सीट लोजपा के प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है।