मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के निजी सचिव (ओएसडी) प्रवीण कक्कड़ के घर पर आयकर विभाग ने छापा मारा है। देर रात तीन बजे 15 से अधिक अधिकारियों की एक टीम ने स्कीम नंबर 74 स्थित उनके घर में छापेमारी शुरु की। इसके अलावा विजय नगर स्थित शोरूम सहित अन्य स्थानों की जांच की जा रही है। बताया जा रहा है कि वह पहले से ही कई एजेंसियों के रडार पर थे। जब वह पुलिस अधिकारी थे, तभी से उनके खिलाफ कई मामलों में जांच की जा रही थी।
जानकारी के अनुसार देर रात को जब आयकर विभाग की टीम कक्कड़ के घर पहुंची तो परिवार के लोग घबरा गए थे। जब उन्हें इस बात को विश्वास हो गया कि सभी अधिकारी आयकर विभाग से हैं तब जाकर उन्होंने जांच में सहयोग किया।
पुलिस विभाग में सेवा के दौरान कक्कड़ को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2004 में नौकरी छोड़कर वह कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के निजी सचिव बन गए थे। ऐसा कहा जाता है कि 2015 में भूरिया को रतलाम-झाबुआ सीट से कक्कड़ की बनाई हुई रणनीति के कारण ही जीत मिली थी। दिसंबर 2018 में वह कमलनाथ के निजी सचिव बने थे।
सूत्रों ने बताया कि आयकर के छापों के दौरान जब्त दस्तावेजों की विस्तृत जांच की जा रही है। कक्कड़ का परिवार हॉस्पिटैलिटी समेत विभिन्न क्षेत्रों के कारोबार से जुड़ा है।आयकर विभाग के सूत्रों ने बताया, ‘विभाग 50 स्थानों की जांच कर रहा है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के ओएसडी, कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी, अमीरा समूह और मोसर बायर के ठिकानों की जांच की जा रही है। भूला, इंदौर, गोवा और दिल्ली के 35 ठिकानों की भी जांच की जा रही है। आयकर विभाग के 300 से ज्यादा अधिकारी छानबीन कर रहे हैं।’
प्रतीक जोशी के घर से विभाग के अधिकारियों को काफी मात्रा में नकदी बरामद हुई है। दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित आरके मिगलानी के घर पर आयकर विभाग छापेमारी कर रहा है। मिगलानी कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं।
कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी का नाम अगस्ता वेस्टलैंड के मनी लांड्रिंग में सामने आया है। वीवीआईपी चॉपर घोटाले के आरोपी राजीव सक्सेना ने पूछताछ के दौरान लिया था। सक्सेना का दुबई से अगस्ता वेस्टलैंड मामले में प्रत्यर्पण किया गया था। पुरी हिंदुस्तान पॉवर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष हैं। पुरी की मां नीता कमलनाथ की बहन हैं।
कक्कड़ की बात करें तो वह अपनी कैर्यशैली से मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र हैं। कमलनाथ ने उन्हें स्वेच्छा अनुदान राशि आवेदनों के निराकरण का जिम्मा दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय को मंत्रियों, कांग्रेस कार्यालयों, दोनों दलों के सांसदों, विधायकों द्वारा सिफारिश वाले और अन्य स्तर पर उपचार खर्च राशि स्वीकृति वाले जो आवेदन मिलते हैं, वह सारे आवेदन जांच के बाद मंजूरी के लिए कक्कड़ को भेज दिए जाते हैं।