नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरी शक्ति देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ब्रह्मचारिणी यानी तप जैसे आचरण करने वाली। माना जाता है इन्होंने भगवान शिव को पति रूप में हासिल करने के लिए कई हजार वर्ष कठोर तपस्या की थी। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को छोटी-छोटी कन्याओं की पूजा करने का विधान है, लेकिन दूसरे दिन ऐसी कन्याओं की पूजा की जाती है जिनका विवाह तय हो चुका हो, लेकिन शादी नहीं हुई। ऐसी कन्याओं को घर बुलाकर भोजन करवाया जाता है। इसके साथ वस्त्र, बर्तन आदि भेंट किए जाते हैं
सफलता पाने के लिए भी इनकी पूजा की जाती है। पूजा में सबसे पहले फूल, अक्षत, रोली, चंदन से कलश पूजा करें और दूध, दहीं, शर्करा, घी व शहद से उसे स्नान करवाएं। इसका एक भाग देवी को अर्पित करें। देवी को प्रसाद अर्पित करें।इसके बाद आचमन, पान, सुपारी भेंट करके
इनकी प्रदक्षिणा करें। इसी प्रकार नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता भी की पूजा करें।
ध्यान रहें देवी की आरती घी व कपूर मिलाकर ही करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।