नई दिल्ली : राजनीतिक दलों के चंदे के लिए इलेक्टोरल बांड की व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 10 अप्रैल को विस्तृत सुनवाई करेगा। याचिका में इससे भ्रष्टाचार की आशंका जताई गई है। वकील प्रशांत भूषण ने इस पर तुरंत रोक लगाने की भी मांग की। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप मांग के समर्थन में तथ्य दें, हम उस पर विचार करेंगे। निर्वाचन आयोग ने इलेक्टोरल बांड का विरोध किया है जबकि केंद्र सरकार ने इसका समर्थन किया है।
गत 2 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने भी दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को एक एनजीओ द्वारा दायर एक ऐसी ही याचिका के साथ टैग कर दिया है। याचिका में फाइनेंस एक्ट 2017 के जरिये इलेक्टोरल बांड के जरिये राजनीतिक दलों को फंडिंग करने के प्रावधान को चुनौती दी गई है। एक एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने भी याचिका दायर कर इस कानून का विरोध किया है। एडीआर की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि इस संशोधन के तहत किसी कारपोरेट द्वारा राजनीतिक दलों को धन देने की अधिकतम 7.5 फीसदी सीमा को खत्म कर दिया गया है।