अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव (ICFF.-2019) का भव्य उद्घाटन
लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के फिल्म्स डिवीजन के तत्वावधान में विश्व का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव (आई.सी.एफ.एफ.-2019) गुरुवार से सीएमएस कानपुर रोड ऑडिटोरियम में प्रारम्भ हो गया। मुख्य अतिथि बृजेश पाठक, विधायी, न्याय एवं राजनीतिक पेंशन मंत्री, उ.प्र. ने दीप प्रज्वलित कर बाल फिल्मोत्सव का विधिवत् उद्घाटन किया जबकि प्रख्यात फिल्म अभिनेता बोमन ईरानी, फिल्म कलाकार गौरव गर्ग, विकास श्रीवास्तव, व रोशनी वालिया एवं बाल कलाकार आरव शुक्ला की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा में चार-चाँद लगा दिये, साथ ही विभिन्न विद्यालयों से पधारे लगभग 10,000 छात्रों एवं विशिष्ट व अति-विशिष्ट अतिथियों की गरिमापूर्ण उपस्थिति ने इस आयोजन की सार्थकता सिद्ध कर दी। बाल फिल्मोत्सव का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि बृजेश पाठक, विधायी, न्याय एवं राजनीतिक पेंशन मंत्री, उ.प्र., ने कहा कि शिक्षात्मक बाल फिल्मों को निःशुल्क प्रदर्शित करना किशोरों व युवाओं को जीवन मूल्यों की शिक्षा देने का कारगर तरीका है।
बच्चे बचपन में जो देखते हैं वही बड़े होकर बन जाते हैं। इस फिल्म महोत्सव में बच्चों के अच्छी-अच्छी बाल फिल्में दिखाई जा रही है, जिससे बच्चों में नैतिकता का विकास होगा। सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने आमन्त्रित अतिथियों, फिल्म कलाकारों व विभिन्न विद्यालयों से पधारे छात्रों का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि मनुष्य का स्वभाव, संवेदनाएं, भय एवं भावनाएं आदि सारे विश्व में लगभग एक जैसी ही होती हैं। अतः विभिन्न देशों की शिक्षात्मक बाल फिल्में बच्चों को मनुष्य की संवेदनाओं से जोड़ती हैं और उन्हें अच्छा इंसान बनाती हैं। उद्घाटन समारोह के उपरान्त अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव का शुभारम्भ बाल फिल्मोत्सव का शुभारम्भ नितिन चौधरी एवं के. के. मकवाना द्वारा निर्देशित भारत फिल्म ‘आई एम बन्नी’ से हुआ। यह फिल्म एक किशोर बालिका के संघर्ष व साहस को दर्शाती है जो स्वयं भी पढ़ना चाहती है, साथ ही अपने गांव की अन्य बालिकाओं के साथ ही गाँव वालों भी बालिकाओं की शिक्षा हेतु प्रेरित करती है। इस अवसर पर आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में लखनऊ पधारे विशिष्ट अतिथियों ने इस ऐतिहासिक आयोजन पर अपने विचार व्यक्त किये। पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रख्यात फिल्म अभिनेता बोमन ईरानी ने कहा कि बच्चों के चारित्रिक व नैतिक विकास के लिए फिल्म जैसे सशक्त माध्यम का उपयोग सी.एम.एस. की एक अनूठी पहल है। देश का भविष्य इन बच्चों के हाथ में ही है और मैं चाहता हूँ कि बच्चे बच्चों के लिए बनी फिल्में ही देंखें।
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