नई दिल्ली : दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्लू) ने शनिवार देर रात को दिल्ली की अलग अलग जगहों से 12 नेपाली लड़कियों को छुड़ाया है। लड़कियों ने बताया कि उदय नाम का एक एजेंट उनको दुबई और खाड़ी देशों में अच्छी नौकरी दिलाने के नाम पर दिल्ली लेकर आया था। आनंदी (बदला हुआ नाम) की लड़की ने दिल्ली महिला आयोग की सदस्या किरण नेगी को सूचना दी कि दो जगहों पर कुछ नेपाली लड़कियों को कैद करके रखा हुआ है। डीसीडब्लू ने तुरंत दो टीमों को नजफगढ़ भेजा। आनंदी के साथ डीसीडब्लू की टीम मौके पर पहुंची और सभी 12 लड़कियों को मुक्त कराया। उनका एजेंट ‘उदय’ वहां पर नहीं मिला, हालांकि लड़कियों ने बताया कि वह कुछ समय पहले उनके साथ था। लड़कियों ने बताया कि उनको वादा किया गया था कि उनको नौकरी के लिए इराक, दुबई और कुवैत भेजा जायेगा और उनको अच्छे रुपये मिलेंगे। उनमे से ज्यादातर ने एजेंट को नौकरी दिलाने के लिए 50 हजार रुपये दिए थे और दो लड़कियों ने 2-2 लाख रुपये दिए थे।
डीसीडब्लू ने सोमवार दोपहर को जानकारी देते हुए बताया कि पूछताछ में लड़कियों ने बताया कि एजेंट ने उनके पासपोर्ट रख लिए थे और उनको कमरा छोड़ने पर गिरफ्तार होने की धमकी दी थी। उन्होंने बताया कि वे परेशान हो गयी थीं, क्योंकि उनको दो महीनों से कैदी की तरह कमरे में बंद करके रखा हुआ था और कुछ को एक महीने से रखा हुआ था। उनका एजेंट कभी कभी शाम को उनसे शराब पीकर मिलने आता था मगर उनको बाहर भेजने के बारे में कुछ भी नहीं बताता था।आनंदी ने अपनी कहानी बताते हुए कहा कि वह अपनी एक बहन के द्वारा एजेंट के संपर्क में आई थी। उसने उसको नौकरी दिलाने का अश्वासन दिया और इराक में एक व्यक्ति को बेंच दिया। इराक में उसका मालिक उसके साथ बुरा व्यवहार करता था, लम्बे समय तक यातना झेलने के बाद वह किसी तरह से वहां से भागने में सफल हुई। भारत पहुंचने पर उसने एजेंट से संपर्क किया और उसके बारे में पता लगा लिया। जब आनंदी को पता चला कि एजेंट ने कुछ और लड़कियों को नेपाल से लाकर दिल्ली में छुपा रखा है तो उसने इसकी सूचना ‘केआई नेपाल’ नाम की संस्था को दी जोकि भारत नेपाल बॉर्डर पर मानव तस्करी रोकने के लिए काम करती है।