पंजाब की राजनीति में वंशवाद पुरानी बीमारी है। वक्त के साथ-साथ यह बीमारी कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है। इस मर्ज पर चर्चा तो खूब होती है, लेकिन इलाज कोई नहीं है। एक के बाद एक राजनेताओं की नई पीढ़ी सियासत के वटवृक्ष पर इस विषबेल को फैलाती चली जा रही है और मतदाता हैं कि बस मूक दर्शक बन कर सब देख रहे हैं।
पंजाब की राजनीति में हमेशा फलता-फूलता रहा परिवारवाद
इसमें कोई भी पार्टी इसमें पीछे नहीं है। फिर भी कुछ पार्टियों में परिवारवाद इस तरह पकड़ बनाए हुए है कि भविष्य में भी इसके कमजोर होने की कोई उम्मीद नहीं है। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस दोनों ने ही वंशवाद को बढ़ावा दिया है।
कैरों, चौधरी और बेअंत सिंह के परिवार की तीन पुश्तों ने भोगा सत्ता सुख
पंजाब में वंशवाद की शुरुआत हरित क्रांति के नायक कहे जाने वाले प्रताप सिंह कैरों के परिवार से हुई। 1956 में पंजाब के मुख्यमंत्री रहे कैरों परिवार की तीन पुश्तों ने पंजाब की राजनीतिक विरासत का सुख भोगा। कैरों परिवार के बाद मास्टर गुरबंता सिंह ही ऐसा परिवार है, जिसकी तीन पुश्तें पंजाब की सियासत पर काबिज रहीं। बादल परिवार की तीसरी पुश्त तो राजनीति के क्षेत्र में नहीं आई है, लेकिन परिवार की लिहाज से बादल परिवार के सबसे अधिक सदस्य राजनीति में रहे हैं और अब भी सक्रिय हैं।
अभी बादल व कैप्टन परिवार सक्रिय, बादल परिवार के सर्वाधिक सदस्य, इनमें जाखड़ परिवार भी शामिल
वहीं, जाखड़ परिवार भी करीब 45 वर्षों से कांग्रेस पार्टी की राजनीति में सक्रिय रहा, लेकिन अहम बात यह रही कि भले ही बलराम जाखड़, सज्जन कुमार जाखड़ और फिर सुनील कुमार जाखड़ चुनाव जीत कर लोकसभा व विधानसभा में जाते रहे हों, लेकिन इस परिवार का एक समय में एक ही सदस्य चुनाव लड़ता रहा है।
45 वर्षों में कभी ऐसा मौका नहीं आया जब जाखड़ परिवार के दो सदस्य एक साथ चुनाव मैदान में उतरें हों। कैप्टन अमरिंदर सिंह का परिवार भी लंबे समय से राजनीति में सक्रिय है। पंजाब के कुछ ऐसे ही परिवारों पर एक नजर जो लंबे समय पर यहां की सियासत पर काबिज रहे और आज भी उनका दबदबा कायम है।
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पंजाब की सियासत में प्रमुख परिवार
कैरों परिवार
-प्रताप सिंह कैरों: 1956 में कांग्रेस से पंजाब के मुख्यमंत्री बने।
-सुरेंदर सिंह कैरों: प्रताप सिंह कैरों के पुत्र। 1969 व 1972 में पट्टी विधानसभा से विधायक रहे।
-आदेश प्रताप कैरों: सुरेंदर सिंह कैरों के पुत्र: 1997, 2002, 2007 और 2012 में विधानसभा में अकाली दल के टिकट पर विधायक बने। आदेश प्रताप कैरों पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के दामाद हैं। बादल की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे।
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चौधरी परिवार
-मास्टर गुरबंता सिंह: 1960, 1962, 1969 और 1972 में करतारपुर रिजर्व सीट से चुनाव जीते।
-चौधरी जगजीत सिंह: मास्टर गुरबंता सिंह के बेटे। 1980, 1985, 1992, 1997 और 2002 में विधायक रहे। 2002 में वह स्थानीय निकाय मंत्री भी रहे।
– चौधरी संतोख सिंह: मास्टर गुरबंता सिंह के बेटे। 1992 में 2002 में फिल्लौर से जीते। कैबिनेट मंत्री रहे। 2014में वह जालंधर लोकसभा सीट से जीत कर सांसद बने।
-सुरेंदर चौधरी: चौधरी जगजीत सिंह के पुत्र। 2017 में करतारपुर से विधायक बने।
-विक्रमजीत सिंह चौधरी: चौधरी संतोख सिंह के पुत्र। 2017 में फिल्लौर से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए।
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बादल परिवार
-प्रकाश सिंह बादल: 10 विधानसभा चुनाव और 1977 में लोकसभा का चुनाव जीते। पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे और केंद्रीय कृषि मंत्री भी रहे।
-गुरदास बादल: प्रकाश सिंह बादल के भाई। 1977 में लंबी से विधायक बने।
-मनप्रीत बादल: गुरदास बादल के पुत्र। 1995,1997, 2002 और 2007 में अकाली दल से विधायक बने। बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। 2017 में कांग्रेस के टिकट पर बठिंडा से चुनाव जीत कर वित्तमंत्री बने।
-सुखबीर बादल: प्रकाश सिंह बादल के पुत्र: 1996, 1998 और 2004 में सांसद रहे। 2009 में जलालाबाद (उपचुनाव) जीत कर विधानसभा पहुंचे। 2012 व 2017 का विधानसभा चुनाव जीते। अकाली-भाजपा सरकार में डिप्टी सीएम बने।
-हरसिमरत कौर बादल: सुखबीर बादल की पत्नी: 2009 और 2014 में बठिंडा सीट से सांसद बनी। वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं।
-बिक्रम सिंह मजीठिया: सुखबीर बादल के साले हैं। 2007, 2012 और 2017 में मजीठा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। बादल सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे।
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बेअंत सिंह परिवार
-बेअंत सिंह: 1969, 1972, 1977, 1980, 1992 में विधानसभा चुनाव जीते। 1992 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने।
-तेज प्रकाश सिंह: बेअंत सिंह के पुत्र। 1997,2002 और 2007 में पायल क्षेत्र से विधायक चुने गए।
-गुरकंवल कौर: बेअंत सिंह की बेटी। 2002 में जालंधर कैंट से विधायक बनीं।
-गुरकीरत कोटली: तेज प्रकाश के बेटे। 2012 और 2017 में खन्ना विधानसभा सीट से विधायक बने।
-रवनीत बिट्टू: बेअंत सिंह के पौत्र। 2009 में श्री आनंदपुर साहिब और 2014 में लुधियाना से सांसद चुने गए।
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कैप्टन अमरिंदर सिंह परिवार
-राजमाता मोहिंदर कौर: 1967 में पटियाला से सांसद बनीं।
-कैप्टन अमरिंदर सिंह: 1980 में सांसद बने। फिर शिअद में गए और 1985 में विधायक बने। 1998 में कांग्रेस में शामिल हो गए। 2002 में पहली बार मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2017 में फिर मुख्यमंत्री बने।
– परनीत कौर: 1999, 2004 और 2009 में पटियाला से सांसद बनीं। 2014 में पटियाला विस उपचुनाव में जीतकर विधायक बनीं।
-रणइंदर सिंह: 2009 में बठिंडा से लोकसभा और 2012 में समाना से विधानसभा का चुनाव हारे।
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जाखड़ परिवार
-बलराम जाखड़: 1972 और 1977 में अबोहर से विधायक चुने गए। दूसरी टर्म में वह नेता प्रतिपक्ष बने। तीन बार सांसद बने। 1980 में वह फिरोजपुर से सांसद बने। पहली बार ही सांसद चुने जाने के बावजूद उन्हें लोकसभा का स्पीकर बनाया गया। 1984 और 1991 का चुनाव वह राजस्थान के सीकर लोकसभा सीट से जीते। दो बार स्पीकर रहे और एक बार केंद्रीय कृषि मंत्री रहे। मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी रहे।
-सज्जन कुमार जाखड़: बलराम जाखड़ के पुत्र। 1980 व 1992 में अबोहर से विधायक रहे।
-सुनील कुमार जाखड़: बलराम जाखड़ के पुत्र। 2002, 2007 और 2012 में विधायक बने। गुरदासपुर उपचुनाव जीत कर सांसद बने।
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ये भी पीछे नहीं
– पिता: सुखदेव सिंह ढींडसा (शिअद)। पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सदस्य
-पुत्र: परमिंदर सिंह ढींडसा, शिअद सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे
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-पिता: प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा। श्री आनंदपुर सहिब से शिअद सांसद।
-पुत्र: हरिंदर पाल सिंह चंजूमाजरा। सनौर से शिअद विधायक।
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-पिता: लाल सिंह, कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे।
-पुत्र: राजिंदर सिंह, समाना से कांग्रेस विधायक
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-पिता: संतराम सिंगला, कांग्रेस से सांसद रहे।
-पुत्र: विजय इंद्र सिंगला। कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
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-पिता: शेर सिंह घुबाया। शिअद से सांसद बने। अब कांग्रेस में
-देविंदर सिंह घुबाया: फाजिल्का से कांग्रेस के विधायक।