गीतकार जावेद अख्तर ने कहा कि- मैं बार-बार नहीं बोल सकता, क्योंकि बार-बार वो ही बोलते हैं, जिन्हें वोट चाहिए होता है। मैं यहां कुछ कहने नहीं सुनने आया हूं। देहरादून के रहने वालों को मेरा सलाम, इस बार देहरादून से लीची नहीं कुछ शायरी लेकर जाना चाहता हूं..।
जहां हर ओर चुनावी शोर है, वहां शायराना अंदाज में चुनावी मौसम में चुटकियां लेते हुए मशहूर शायर व गीतकार जावेद अख्तर ने कुछ इस तरह अपनी बात रखी। जावेद पत्नी शबाना आजमी के साथ मशहूर शायर कैफी आजमी की जन्मशताब्दी मनाने के लिए दून पहुंचे थे। जहां उन्होंने युवा शायरों और शायरी प्रेमियों के बीच कुछ वक्त बिताया।
इस मौके पर उन्होंने अपने ससुर कैफी आजमी के बारे में बात करते हुए कहा कि वह अलग तरह के इंसान थे। उनके घर में हिंदुस्तान का कोई भी त्योहार पराया नहीं होता था। यही उनके संस्कार थे। महिला सशक्तीकरण पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि आज के दौर में हम चौराहे पर दीया तो जलाते हैं, मगर यही दीया अपनी चौखट पर आकर बुझ जाता है।
उन्होंने सही मायनों में महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने की बात कही। एक सवाल पर जावेद ने कहा कि हर व्यक्ति का व्यक्तित्व माहौल और जगह के मुताबिक अलग होता है। ठीक वैसे ही एक लेखक भी अलग-अलग मूड में अपनी भावनाओं को जाहिर करता है।
इस दौरान जावेद और शबाना ने शायरों की ओर से प्रस्तुत कैफी आजमी की नज्म व शायरी को सराहा। साथ ही रक्षंदा जलील की लिखी किताब कैफियत का भी विमोचन किया। जिसमें कैफी आजमी की गजलों, नज्मों और शायरी को अंग्रेजी में प्रस्तुत किया गया है।
मुंबई जाकर लिखूंगा वह गीत, जो दिल के सबसे करीब होगा
कौन सा गीत उनके सबसे करीब है, इस पर उन्होंने कहा कि अभी तक वह गीत उन्होंने लिखा नहीं है। दून से मुंबई जाकर वह उस गीत को लिखेंगे। उन्होंने कहा कि उनके अधिकतर गीतों पर शबाना का साया रहता है, लेकिन यह भी सच है कि ज्यादातर गीत फिल्म की परिस्थिति पर लिखने होते हैं।
कहा कि मैं भी गीतों के जरिये सरल शब्दों में अपनी बात कहता हूं। आजकल के गीत सुनकर लिखने का नहीं होता मन आज के दौर में बदलते संगीत की पहचान जावेद के मन को भी कचोटती है।
अब उनके गीत फिल्मों में कम सुनने को मिलते हैं, इस पर उन्होंने साफ कहा कि सच कहूं, तो आजकल के गीत सुनकर मेरा लिखने का मन ही नहीं होता। इसलिए अब कम लिखता हूं।
लंबे समय के विकास के बारे में सोचें नेता: शबाना आजमी
शबाना आजमी ने कहा कि उनके पिता कैफी आजमी ने उनसे कहा था कि अच्छे काम के लिए अगर बदलाव लाना है तो पूरी शिद्दत से काम करें। यह उम्मीद न रखें कि यह काम कब पूरा होगा, इससे मेरा क्या फायदा होगा। बस इतना यकीन रखें कि बदलाव आएगा जरूर, चाहे हमारे मरने के बाद ही सही।
उन्होंने आजकल की राजनीति को इससे जोड़ते हुए कहा कि आजकल बस पांच साल के लिए नेता अपना माइंड सेट कर लेते हैं। वे लंबे समय के विकास पर ध्यान नहीं देते। अगर सभी नेता अपना काम करने का तरीका बदल लें तो समाज में निश्चित ही बदलाव आएगा। उन्होंने बताया कि उनके पिता के बनाए एनजीओ मिजवान वेलफेयर सोसायटी के जरिये वह महिला सशक्तीकरण के लिए कई काम कर रही हैं।