अंपायरों की गेंद बदलने की मांग से नाराज श्रीलंका ने वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन शनिवार को यहां मैदान पर उतरने से इन्कार कर दिया। अंपायर अलीम डार और इयान गोल्ड ने तीसरे दिन का खेल शुरू होने से पहले गेंद बदलने के निर्देश दिए थे क्योंकि वे दोनों गेंद की स्थिति से संतुष्ट नहीं थे। दूसरे दिन जिस गेंद का उपयोग किया गया था उससे, अंपायरों को बॉल टेंपरिंग का आभास लग रहा था इसलिए उन्होंने तीसरे दिन दूसरी गेंद से मैच कराने का निर्णय लिया।
वेस्टइंडीज ने श्रीलंका के 253 रन के जवाब में अपनी पहली पारी में दो विकेट पर 118 रन बनाए हैं। श्रीलंकाई टीम ने अंपायरों के फैसले का विरोध किया और मैदान पर उतरने से इन्कार किया। अंपायरों, मैच रेफरी जवागल श्रीनाथ और श्रीलंकाई कप्तान दिनेश चंडीमल के बीच चर्चा के बाद करीब 90 मिनट देरी से मैच शुरू हो सका। अगर वह मैदान पर नहीं आते तो रेफरी टीम पर बॉल टेंपरिंग का चार्ज लगा सकते थे। मैदान पर नहीं आने की वजह से श्रीलंका को पांच रनों की पेनाल्टी मिली और वेस्टइंडीज के स्कोर में पांच रन जोड़े गए। यह पहला मौका नहीं है जब किसी टीम ने विरोध के तौर पर मैदान पर आने से मना कर दिया था।
2006 में क्रिकेट इतिहास में पहली बार इस तरह की घटना हुई थी। उस समय इंग्लैंड के खिलाफ ओवल टेस्ट में पाकिस्तान ने भी ऐसा ही किया था। जब अंपायर डारेल हेयर और बिली डॉक्ट्रोव ने पाकिस्तान पर बॉल टेंपरिंग का आरोप लगाया था। इसके बाद उन्हें पांच पेनाल्टी रन गंवाने पड़े थे। पाकिस्तान की टीम ने इस टेस्ट के चौथे दिन चायकाल के बाद मैदान पर आने से मना कर दिया था।