संगरूर लोकसभा सीट पर अकाली-भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ने को लेकर वरिष्ठ अकाली नेता राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींढसा व उनके बेटे सूबे के पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर ढींढसा में पेच फंस गया है। एक तरफ परमिंदर ढींढसा शिरोमणि अकाली दल की टिकट से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं तो वहीं उनके पिता सुखदेव सिंह ढींढसा ने साफ कह दिया है कि अगर बेटा चुनाव लड़ता हैं तो वह उसके चुनाव प्रचार में नहीं जाएंगे।
सुखदेव सिंह ढींढसा ने यह भी कहा कि चुनाव लड़ना या न लड़ना परमिंदर पर निर्भर करता है। वह उसमें कोई दखल नही देंगे। उन्होंने कहा कि उनके शिरोमणि अकाली दल से मतभेद कायम हैं। शिअद के प्रधान सुखबीर बादल लोकसभा हलका संगरूर से परमिंदर को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। ढींढसा परिवार का गढ़ माने जाने वाले संगरूर में समीकरण अब कुछ और ही बनते जा रहे हैं।
पिछले लोकसभा चुनावों तक शिअद को संगरूर सीट पर उम्मीदवार उतारने के लिए ज्यादा माथापच्ची करने की जरूरत नहीं होती थी। ढींढसा परिवार ने लोकसभा सीट संगरूर पर लंबे समय तक पारी खेली है। सुखदेव सिंह ढींढसा वर्ष 2004 में लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। वर्ष 2009 में कांग्रेसी उम्मीदवार विजयइंद्र सिगला और 2014 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भगवंत मान के मुकाबले मात मिली।
वह राज्यसभा सदस्य के तौर पर राजनीतिक में सरगर्म रहे। 1998 की केंद्र सरकार में सुखदेव सिंह ढींढसा कैबिनेट मंत्री रहे। अब सुखदेव सिंह ढींडसा की ओर से शिअद के पदों से इस्तीफा देने व अपने परिवार की तरफ से किसी के भी लोकसभा चुनाव में न उतरने के बयान के बाद शिअद की स्थिति बदल गई है।
एक सम्मान समारोह दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुखदेव सिंह ढींढसा ने कहा कि वह आज भी अपनी इस जुबान पर अटल हैं कि उनके परिवार से कोई भी सदस्य लोकसभा चुनाव न लड़े। उन्हें अपनी तरफ से परिवार को सलाह देनी थी, वह दे दी है।
परमिंदर को मेरी आज भी यही सलाह है कि वह चुनाव न लड़े। वहीं विधायक परमिंदर सिंह ढींढसा का कहना है कि पार्टी हाईकमान ही लोकसभा सीट संगरूर के लिए उम्मीदवार का एलान करेगी। पार्टी उम्मीदवारों पर विचार कर रही है, वह भी अपनी व्यक्तिगत राय पार्टी को दे चुके हैं। अब किसे पार्टी उम्मीदवार बनाकर उतारेगी, यह फैसला पार्टी करेगी।