आप सभी को बता दें कि आज गोविंद द्वादशी है और यह कल्याणकारी, रोगों का नाश करने वाली और अत्यंत ही फलदायी व मनोवांछित फल प्रदान करने वाली होती है. ऐसे में गोविंद द्वादशी का व्रत रखने से मनुष्य को गोविंद अर्थात भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और ये व्रत तिथि श्रीहरि को समर्पित है. कहते हैं इस व्रत का प्रारंभ प्रातः संकल्प के साथ ही प्रारंभ होता है और इस साल यह 18 मार्च 2019 को यानी आज है. कहते हैं इसी दिन प्रदोष व्रत अर्थात शिव पूजन का दिन है जिसकी वजह से इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. आप सभी को आज हम बताने जा रहे हैं इस व्रत की पौराणिक कथा.
व्रत की पौराणिक कथा – इस व्रत की कथा के संबंध में उल्लेख मिलता है कि गोविंद द्वादशी का व्रत एक यादव कन्या ने रखा था जिसके प्रताप एवं पुण्य फल से उसे वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति हुई थी. इस व्रत के संबंध में कन्हैया ने पितामह भीष्म को बताकर यादव कन्या के व्रत एवं इससे मिलने वाले पुण्य प्रताप के संबंध में बताया था.
करें इन मंत्रों का जाप
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
ॐ नमो नारायणाय नम:
श्रीकृष्णाय नम:, सर्वात्मने नम:
इन मंत्रों का जाप जातक को व्रत धारण कर पूजन के दौरान करना चाहिए. इससे व्रत को पूर्णता प्राप्त होती है.
व्रत का पुण्य फल – कहा जाता है इस व्रत को धारण करने वाले के लिए दान, हवन, तर्पण, ब्राम्हणों को दान, यज्ञ आदि का बहुत ही महत्व होता है और गोविंद द्वादशी के संबंध में बताया जाता है कि इस दिन जो भी दान करता है वह साक्षात भगवान विष्णु की कृपा का पात्र बनता है और उसे अंतकाल में वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है. कहते हैं इस व्रत से मानव के समस्त पापों का नाश हो जाता है और इसे करने के बाद जीवन में सुख समृद्धि होने लगती है.