केंद्र की मोदी सरकार ने एक आरटीआइ याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज की आरटीआई के जवाब में इस बात की पुष्टि की है कि वह सुचना के अधिकार में फेरबदल करने पर विचार कर रही है. वहीं जब इस याचिका में इस संसोधन को लेकर सरकार से तारीख और कैसे लागू किया जाएगा यह पूछा तो सरकार इस इसकी जानकारी देने से मना कर दिया.
अंजलि भारद्वाज ने बताया कि डीओपीटी ने इस याचिका पर जवाब भेजकर कहा कि “आरटीआइ अधिनियम, 2005 के संसोधन को लेकर उन्होंने कहा कि, आरटीआइ एक्ट की धारा 8(1)(आइ) जिस मुकाम पर है उस हिसाब से देखा जाए तो यह जनता के सामने सार्वजानिक नहीं किया जा सकता है.
याचिकाकर्ता भारद्वाज ने कहा कि “यूपीए शासनकाल में लाई गई 2014 की पूर्व विधायी परामर्श नीति के तहत सरकार को सभी विधेयकों और नीतियों आदि को योजना बनाने के दौरान जनता के समक्ष रिव्यू के लिए दिखाना चाहिए, लेकिन सरकार इस संशोधन को कतई सार्वजनिक नहीं करना चाहती है जबकि सरकार से इस बारे में सिर्फ संसोधन की तारीख और केस लागू किया जाए यह पूछा था.” वहीं अंजलि भारद्वाज ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि सरकार संसोधन करने वाली है इसलिए यह याचिका दायर की है.