उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन करके कांग्रेस पार्टी को अलग-थलग कर दिया है। इसकी टीस भी कांग्रेस नेताओं में दिखती रही है। इस बीच कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बड़ा झटका दिया है। दरअसल, दिल्ली के कई बसपा नेताओं को कांग्रेस पार्टी ने तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करने में सफलता हासिल की है।
जानकारी के मुताबिक, बसपा के दक्षिणी दिल्ली प्रभारी व बिजवासन से 2015 का चुनाव लड़े योगेश गौड़, आजाद हिंद कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कृष्णपाल गहलोत अपनी पूरी स्टेट पार्टी के साथ व नजफगढ़ से 2017 में बीएसपी उम्मीदवार के रूप में निगम चुनाव लड़े रघुनंदन शर्मा, उमेद खान, ओमकार सिंह अपने साथियों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए। इन सभी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित की मौजूदगी में पार्टी में शामिल कराया गया।
इस अवसर पर कार्यकारी अध्यक्ष हारुन यूसूफ, राजेश लिलोठिया, पूर्व मंत्री मंगत राम सिंघल, प्रदेश प्रवक्ता जितेंद्र कोचर, रोहित मनचंदा भी मौजूद थे। शीला दीक्षित ने प्रदेश कार्यालय में सभी को तिरंगा पटका पहनाकर स्वागत किया।
कांग्रेस में शामिल सभी नेताओं ने एकजुटता के साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित के नेतृत्व में विश्वास प्रकट किया और कहा कि कांग्रेस ही अकेली ऐसी पार्टी है जो सांप्रदायिक ताकतों के साथ लड़ सकती है।
शीला ने सभी नेताओं का स्वागत करते हुए कहा कि मैं कांग्रेस परिवार में आपका स्वागत करती हूं और आपको विश्वास दिलाती हूं कि आपको पूरा मान और सम्मान यहां मिलेगा। हम संसदीय चुनाव में अभी से जुट जाएंगे तथा कांग्रेस उम्मीदवारों को विजयी बनाने के लिए घर-घर जाकर लोगों से संपर्क करेंगे।
यहां पर बता दें कि पिछले दिनों बसपा मुखिया मायावती ने लखनऊ में बसपा के लोकसभा प्रभारी, नेताओं, पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में कांग्रेस के प्रति काफी सख्त रुख अपनाया। इस मौके पर उऩ्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों में बहुजन समाज पार्टी न तो कांग्रेस से मदद लेगी और न ही कहीं पर गठबंधन करेगी।
बसपा मुखिया मायावती ने कहा है कि हम अपना रुख दोहराते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में हम किसी भी राज्य में कांग्रेस के साथ न तो गठबंधन करेंगे और न ही उनकी कोई भी मदद लेंगे। अगर वह हमसे मदद मांगते हैं तो फिर हम विचार कर सकते हैं। बसपा की लखनऊ में यह अखिल भारतीय बैठक थी। हर राज्य के नेताओं से मायावती ने पहले तो अलग-अलग बैठक की और फिर उसके बाद सभी को एक साथ बैठाकर पार्टी की रणनीति से अवगत कराया।
मायावती ने बताया था कि बसपा के इस बार चुनावी गठबंधन करने को कई पार्टियां काफी आतुर हैं, लेकिन थोड़े से चुनावी लाभ के लिये हमें ऐसा कोई काम नहीं करना है जो बसपा मूवमेन्ट के हित में बेहतर नहीं है। बसपा ने काफी कड़ा संघर्ष व अथक प्रयास करके ना बिकने वाला समाज बनाया है और चुनावी स्वार्थ के लिए कैसे अपने मूवमेन्ट को नुकसान होता हुआ देख सकती है। उन्होंने कहा कि हालात के बदलने में देर नहीं लगते हैं और इसीलिये पार्टी के लोगों को पूरी हिम्मत से लगातार काम करते रहने की जरूरत है।