अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को चीन से आयातित 50 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं पर 25 फीसदी शुल्क लगा दिया, जिससे व्यापारिक जंग का सूत्रपात हो सकता है. दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापारिक हितों को लेकर पिछले दिनों जो जुबानी जंग का सिलसिला शुरू हुआ था वह अब बड़े व्यापार-युद्ध की चेतावनी के रूप में दिखाई दे रहा है.
अमेरिकी अखबार ‘न्यूयार्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने बीजिंग पर बौद्धिक कॉपीराइट चोरी का आरोप लगाते कहा कि अगर चीन जवाबी कार्रवाई करता है जो वह दोबारा शुल्क लगाएगा. आयात शुल्क 800 प्रकार के उत्पादों पर लगाया जाएगा और यह छह जुलाई से लागू होगा.
ट्रंप ने एक बयान में कहा कि अमेरिका उन वस्तुओं पर आयात शुल्क लगाएगा जो औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी से जुड़ी हैं. इसमें उच्च प्रौद्योगिकी के उद्योगों पर कब्जा जमाने के लिए चीन की ‘मेड इन चाइना ‘ 2025 योजना से जुड़ी वस्तुएं भी शामिल होंगी.
उन्होंने कहा कि आयात शुल्क लगाने का मकसद मुख्य रूप से अमेरिकी प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा का चीन को हस्तांतरण होने से रोकना है, जिससे अमेरिकी की नौकरियां बची रहेंगी. ट्रंप ने कहा, “अमेरिका गलत तरीके से अपनी प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा को खोना अब बर्दाश्त नहीं कर सकता है.”
अमेरिकी राष्ट्रपति ने मार्च में घोषणा की थी कि वाशिंगटन चीनी वस्तुओं के आयात पर 50 अरब का जुर्माना लगाएगा. ट्रंप ने उस समय कहा, “हमारे साथ बौद्धिक संपदा की चोरी की बड़ी समस्या है.”
ट्रंप प्रशासन ने आयात शुल्क के दायरे में चीन से आयातित जिन वस्तुओं को शामिल करने की बात अप्रैल में की थी उनमें फ्लैट स्क्रीन वाले टेलीविजन, मेडिकल उपकरण, विमानों के कल-पुर्जे और सैकड़ों अन्य उत्पाद शामिल हैं. ट्रंप प्रशासन ने कहा था कि 30 जून तक उत्पादों की संशोधित सूची जारी की जाएगी.
चीन ने जब जवाबी कार्रवाई करने की चेतावनी दी तो ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करने की धमकी दी.
मई के मध्य में दोनों देशों के बीच दो दौर की बातचीत के बाद उनके बीच व्यापारिक जुबानी जंग में कुछ समय के लिए विराम आया. अमेरिकी खजाना मंत्री स्टीवन मन्यूचिन ने बाद में व्यापार युद्ध विराम की घोषणा की. दस दिन बाद व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका में चीनी निवेश की नई सीमा तय करने के साथ वह आयात शुल्क पर कार्रवाई करेगा. इसी महीने बीजिंग में व्यापार को लेकर नए दौर की बातचीत नाकाम रही.