असम जैसे अहम राज्य के प्रभारी के रूप में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खुद चुनाव मैदान में खम ठोकने, राज्यसभा सदस्य पद पर करीब तीन साल का कार्यकाल शेष रहने के बावजूद प्रदीप टम्टा के अल्मोड़ा संसदीय सीट से चुनाव लड़ने और प्रदेश अध्यक्ष के नाते प्रीतम सिंह को टिहरी सीट पर उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर पार्टी के भीतर सियासी शोर तो जोर शोर से उठ रहा है। अंदरखाने पार्टी में इन दिग्गज नेताओं की स्थिति को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है।
उक्त नेताओं के समर्थक भले ही उत्साहित दिख रहे हों, लेकिन पार्टी के आम कार्यकर्ता में संशय बरकरार है। लिहाजा इस मामले में नजरें कांग्रेस हाईकमान के रुख पर टिकी हैं।
कांग्रेस में लोकसभा की पांच सीटों के लिए प्रत्याशियों को चुनने की कवायद के बीच दिग्गज नेताओं की दावेदारी को लेकर उलझन बरकरार है। उत्तराखंड में चुनाव पहले चरण में यानी 11 अप्रैल को हो रहे हैं, ऐसे में इस उलझन को पार्टी को जल्द सुलझाना होगा। इसके बाद ही प्रत्याशियों के बारे में भी छाया कुहासा छंट सकेगा।
इस कुहासे की जद में खुद पार्टी के धुरंधर हरीश रावत हैं। यूं तो हरीश रावत हरिद्वार संसदीय सीट पर दावेदारी के मामले में सबसे आगे चल रहे हैं। वह इस सीट से चुनाव जीतने के बाद पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा और फिर राज्य में मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभाल चुके हैं।
हरिद्वार सीट पर उनको दोबारा प्रत्याशी बनाया जाएगा, इसे लेकर पार्टी के भीतर संशय भी है। दरअसल, रावत इस वक्त राष्ट्रीय महासचिव और सीडब्ल्यूसी के सदस्य के साथ ही असम प्रदेश के प्रभारी भी हैं। हरीश रावत खेवनहार पार्टी हाईकमान ने उन्हें सोच-समझकर इस जिम्मेदारी से नवाजा है। उन पर बतौर प्रदेश प्रभारी असम में पार्टी की नैया पार लगाने का जिम्मा है।
ऐसे में चुनाव में खुद प्रत्याशी रहते हुए वह असम पर कितना ध्यान दे सकेंगे, इसे लेकर पार्टी हलकों में भी कयास लगाए जा रहे हैं। इन चर्चाओं के बीच सच ये भी है कि इस लोकसभा चुनाव को करो या मरो तर्ज पर लड़ रही कांग्रेस के सामने मजबूत प्रत्याशियों को चुनाव में उतारने की चुनौती भी है। ऐसी चुनौतियों के खेवनहार माने जाने वाले हरीश रावत को लेकर पार्टी हाईकमान के रुख का इंतजार किया जा रहा है।
प्रदीप टम्टा, प्रीतम सिंह पर भी होना है फैसला
इसीतरह सांसद प्रदीप टम्टा का राज्यसभा का करीब तीन साल का कार्यकाल शेष है। अल्मोड़ा सुरक्षित सीट पर जीत के इरादे से उतर रही कांग्रेस के सामने प्रदीप टम्टा की दावेदारी को लेकर पेच है। अगर टम्टा चुनाव जीतते हैं तो उन्हें राज्यसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ेगा। ऐसे में राज्यसभा की ये सीट भारी बहुमत से सत्ता पर बैठी भाजपा के लिए जीतना आसान हो जाएगा।
कमोबेश यही स्थिति प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को लेकर भी है। टिहरी संसदीय सीट पर चाहे सांगठनिक जिलों की रिपोर्ट हो या पर्यवेक्षक की रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को इस सीट पर पसंद बताया जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष खुद या अपने परिवार के सदस्य को चुनाव लड़ाएंगे या पांचों सीटों पर प्रत्याशियों को जिताने में दम-खम लगाएंगे, इसे लेकर भी पार्टी की रीति-नीति साफ होने का इंतजार किया जा रहा है।