लखनऊ : लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही यूपी पुलिस की परीक्षा का काउंटडाउन भी शुरू हो गया है। अफसरों से लेकर जवानों तक के लिए फीते कसकर चुनावी रण में मतदाताओं के बीच सुरक्षा का भरोसा कायम करने की घड़ी आ गई है। इसके लिए पुलिस ने लंबी कसरत की है। अब कार्ययोजना के अनुरूप सबकुछ ठीक रखने की चुनौती सामने है। प्रदेश में 17 हजार संवेदनशील मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए सवा लाख पुलिसकर्मी चप्पे-चप्पे पर तैनात होंगे। आचार संहिता लागू होने के बाद अब जल्द अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों की तस्वीर भी साफ हो जाएगी। माना जा रहा है कि इस श्रेणी में करीब पांच हजार मतदान केंद्रों होंगे, जहां अर्द्धसैनिक बल से लेकर पीएसी के जवानों का पहरा होगा। लोकसभा चुनाव 2014 में केंद्र से मिले अर्द्धसैनिक बल के अनुरूप इस चुनाव में भी पैरामिलेट्री फोर्स की मांग की गई है। बताया गया कि यूपी में करीब दो सौ कंपनी अर्द्धसैनिक बल तैनात होगी, जबकि चुनाव के अंतिम दो चरणों में अर्द्धसैनिक बल की लगभग 125 और कंपनियां मुहैया होंगी। इसके अलावा प्रदेश में उपलब्ध पीएसी की 199 कंपनियां चुनाव ड्यूटी में मुस्तैद रहेंगी।
आइपीएस अधिकारियों से लेकर सिपाही तक सभी की चप्पे-चप्पे पर ड्यूटी लगाये जाने का खाका पहले से ही तैयार है। मतदान केंद्रों से लेकर उनके आसपास की सुरक्षा-व्यवस्था में एएसपी, सीओ, इंस्पेक्टर, दारोगा व सिपाही की अलग-अलग भूमिका व जिम्मेदारी होगी। डीजीपी मुख्यालय में गठित चुनाव सेल आइजी कानून-व्यवस्था प्रवीण कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में चुनाव के दौरान चेकिंग से लेकर सुरक्षा-व्यवस्था का ब्लूप्रिंट तैयार कर चुका है। चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार पुलिस बंदोबस्त किये जायेंगे। लोकसभा चुनाव की सुरक्षा-व्यवस्था में होमगार्ड की भी अपनी अलग भूमिका होगी। बताया गया कि करीब एक लाख होमगार्ड को चुनाव ड्यूटी में लगाया जायेगा। होमगार्ड जवानों को खासकर मतदान केंद्रों के बाहर व आसपास पुलिस के सहयोग में लगाया जायेगा। चुनाव के दौरान सीमाओं की चेकिंग की चुनौती सबसे बड़ी होगी। खासकर अवैध शराब व नोटों की तस्करी से लेकर अपराधियों व अवांछित तत्वों की आवाजाही बढ़ जायेगी। इसके दृष्टिगत यूपी पुलिस पहले ही नेपाल पुलिस व सीमा सुरक्षा बल के साथ बैठक कर साझा चेकिंग व्यवस्था की रणनीति बना चुकी है।