मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने कंप्यूटर बाबा (नामदेव दास त्यागी) को ‘मां नर्मदा, मां शिपरा और मां मंदाकिनी नदी न्यास’ का अध्यक्ष नियुक्त किया है। इससे पहले राज्य की पूर्व शिवराज सरकार के दौरान उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था।
विधानसभा चुनाव से पहले वे कांग्रेस के समर्थन में आ गए थे। उन्होंने लगातार पिछली सरकार पर नर्मदा में हुए उत्खनन को लेकर सवाल उठाए थे।
मध्यप्रदेश सरकार के आध्यात्मिक विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, “राज्य सरकार ने इंदौर के गोमत गिरी आश्रम के कंप्यूटर बाबा को ‘मां नर्मदा, मां शिपरा और मां मंदाकिनी न्यास (नदी न्यास)’ का अध्यक्ष बनाया है। नियुक्ति तत्काल रूप से प्रभावी होगी।”
कंप्यूटर बाबा का कहना है, “मैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री कमलनाथ का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे ये काम दिया। मैं काम जल्द से जल्द शुरू कर दूंगा, हालांकि लोकसभा चुनाव के कारण कुछ जटिलताएं हैं। मैं तीनों नदियों के संरक्षण पर ध्यान दूंगा और अवैध खनन एवं प्रदूषण की जांच करूंगा।”
पिछली सरकार में इस्तीफा देते वक्त कंप्यूटर बाबा ने कहा था कि हजारों संतों ने उनपर त्यागपत्र देने का दबाव बनाया। उन्होंने कहा था, “मुख्यमंत्री (शिवराज सिंह चौहान) ने मुझसे कहा था कि राज्य में अवैध रेत उत्खनन नहीं होगा, गाय की दुर्दशा नहीं होगी, जो मंदिर मठ के संत कहेंगे वही करेंगे।” लेकिन मुझसे जो वादे किए गए थे मुख्यमंत्री ने उसके विरुद्ध काम किया।
उन्होंने कहा था कि संतों ने मुख्यमंत्री से काम कराने का जिम्मा उन्हें (कंप्यूटर बाबा) को सौंपा था। मुख्यमंत्री से काम नहीं करा पाने के कारण संतों ने उन्हें 100 में से शून्य नंबर दिए थे। उन्होंने इसके चलते खुद को फेल बताया था।