नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान का अपने यहां आतंकियों और उनके संगठनों पर कार्रवाई किए जाने का दावा केवल ‘कागजी’ नजर आता है। पाकिस्तान को अपनी जमीन से सीमापार आतंक फैला रहे संगठन के खिलाफ कुछ विश्वसनीय एवं सतत प्रयास करने होंगे। विदेश मंत्रालय ने पहली बार इमरान खान सरकार द्वारा पिछले सप्ताह जैश-ए-मोहम्मद, जमात-उद-दावा और फलाहे इंसानियत फाउंडेशन से जुड़ी संपत्तियों को कब्जे में लेने तथा इन संगठनों पर शिकंजा कसने से जुड़ी कार्रवाई पर भारत की ओर से प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने पाकिस्तान की ओर से की जा रही इस कार्रवाई को ‘पुराने ढर्रे’ पर की गई कार्रवाई बताया। उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान से उसकी जमीन पर पनप रहे आतंक के खिलाफ ठोस कार्रवाई चाहता है।
रवीश कुमार ने कहा कि इस बात के दावे किए जा रहे हैं कि आतंकी संगठनों पर शिकंजा कसा जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है और इसके अलावा कुछ मदरसों पर कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान ‘नया पाकिस्तान और नई सोच’ का दावा करता है तो उसे कुछ ‘नया’ करके दिखाना होगा और अपने यहां से आतंकी संगठन, आतंकी ढांचे और उसके माध्यम से सीमा पार हो रहे हमलों को रोकना होगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि बालाकोट में 26 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद के कैम्प में वायु सेना द्वारा की गई कार्रवाई ने अपना लक्ष्य हासिल किया है। उन्होंने कहा कि हम सीमा पार फैले आतंक के ढांचे पर एक कठोर कार्रवाई करना चाहते थे। इस दौरान उन्होंने 27 फरवरी को पाकिस्तान की ओर से जवाबी कार्रवाई में भारतीय सैन्य ढांचे पर हमले की निंदा की। रवीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान में इस बात को लेकर ‘भ्रम’ की स्थिति बनी हुई है कि पुलवामा हमले में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ था या नहीं। उन्होंने कहा कि जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली है। जबकि पाकिस्तान की ओर से कहा जा रहा है कि जैश ने ऐसा कोई दावा नहीं किया है।