शिरोमणि अकाली दल की सदस्यता से सोमवार को इस्तीफा देने के बाद शेर सिंह घुबाया ने मंगलवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया। दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में घुबाया ने कांग्रेस ज्वॉइन की। ऐसे में यह बदलाव लोकसभा चुनाव 2019 से पहले अकाली दल के लिए बड़ा झटका है।
सांसद शेर सिंह घुबाया ने शिरोमणि अकाली दल में अपनी सदस्यता से सोमवार को इस्तीफा दे दिया था। घुबाया ने पार्टी प्रधान के नाम अपना इस्तीफा भेज दिया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि पार्टी में रहते हुए उन्हें लगातार अनदेखा किया जा रहा था। अपने निवास पर आयोजित प्रेस वार्ता में घुबाया ने इसकी घोषणा की।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान नई पार्टी में शामिल होने के सवाल का जवाब देते हुए घुबाया ने कांग्रेस में शामिल होने के संकेत दिए थे। उनके बेटे दविंदर घुबाया फाजिल्का से कांग्रेस के विधायक हैं और उनका झुकाव तो कांग्रेस की ओर ही है, ऐसे में कांग्रेस ज्वॉइन करने की एक वजह यह भी है।
खुद बताया क्यों दिया इस्तीफा
प्रेस कांफ्रेंस में घुबाया ने कहा कि पार्टी में लगातार हो रही बेइंसाफी के कारण उन्होंने चुप रहना मुनासिब समझा, लेकिन जब हदें पार होने लगी तो वह पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ खुलकर सामने आए। 2009 में वह अपनी सीट छोड़कर पार्टी प्रधान को जलालाबाद से चुनाव लड़ाने के लिए लाए थे।
सुखबीर बड़े अंतर से चुनाव जीते थे, लेकिन इसके बाद लगातार उनका वोट अंतर नीचे गिरता गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में सुखबीर 18 हजार 500 वोट से ही जीते। घुबाया ने कहा कि अब लोगों का शिरोमणि अकाली दल से मोह भंग हो चुका है। पार्टी प्रधान की मनमानियों के कारण टकसाली अकाली नेता पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर हो गए।
घुबाया को निकालने का फैसला पहले ही हो चुका था
अकाली दल के मुख्य प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि पार्टी शेर सिंह घुबाया को निकालने का फैसला पहले ही कर चुकी थी। ऐसे में अब घुबाया को इस्तीफा देने की तकलीफ नहीं करनी चाहिए थी। सिर्फ वेतन की खातिर घुबाया कुर्सी से चिपके रहे।