संसद में हुए हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरू के बेटे गालिब आधार कार्ड मिलने पर गर्व महसूस कर रहे हैं। संसद में हुए हमले का दोषी करार दिए जाने के बाद अफजल को फांसी दे दी गई थी। 18 साल के गालिब ने कहा, ‘अब कम से कम मेरे पास दिखाने के लिए एक कार्ड तो है। मैं बहुत खुश हूं।’ गुलशनाबाद की पहाड़ियों पर उनका घर मौजूद है। जहां वह अपने नाना गुलाम मोहम्मद और मां तबस्सुम के साथ रहते हैं।
गुरू के बेटे का कहना है कि अब उसके पास भारतीय पासपोर्ट भी होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जब मुझे भारतीय पासपोर्ट मिलेगा तो मैं भारत का गौरान्वित नागरिक महसूस करुंगा।’ उन्होंने बताया कि कैसे इससे उनके लिए विदेश में पढ़ाई करने के रास्ते खुल जाएंगे। वह इस समय पांच मई को होने वाली मेडिकल की नीट परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। वह भारत के मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करना चाहते हैं लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो उन्होंने विदेश में पढ़ने की इच्छा जाहिर की।
गालिब ने कहा, ‘यदि मैं यहां परीक्षा पास नहीं कर पाता हूं तो मैं विदेश जाना चाहूंगा। तुर्की का कॉलेज मुझे बाद में स्कॉलरशिप दे सकता है।’ उन्होंने कहा कि वह केवल अपने पिता के सपने को पूरा कर रहे हैे। मां तबस्सुम की तरफ देखते हुए उन्होंने कहा, ‘हम अतीत की गलतियों से सीखते हैं। मेरे पिता अपना मेडिकल करियर (शेर-ए-कश्मीर मेडिकल इंस्टीट्यूट में) आगे नहीं बढ़ा सके थे। मैं इसे पूरा करना चाहता हूं।’
गालिब ने अपनी मां को उसे आतंकी संगठनों से बचाने का श्रेय दिया और खासतौर से उन पाकिस्तानियों से जो उसकी भर्ती करना चाहते थे। गालिब के पिता को संसद में हुए हमले के आरोप में गिरफ्तार और फिर दोषी करार दिया गया था। कश्मीर में आतंकी संगठनों ने उसकी फांसी के विरोध में युवाओं को बरगलाकर उन्हें हथियार उठाने के लिए भड़काया था। पुलवामा आतंकी हमले का आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार अफजल गुरू सुसाइड स्कवायड का हिस्सा था जोकि जैश-ए-मोहम्मद की एक शाखा है।
गालिब ने कहा, ‘पूरा श्रेय मेरी मां को जाता है। जब मैं पांचवी कक्षा में था तभी से उन्होंने मेरे लिए एक अलग जगह बनाई। उन्होंने मुझसे हमेशा कहा है कि यदि कोई तुम्हें कुछ कहता है तो प्रतिक्रिया मत दो। मेरी प्राथमिकता मेरी मां हैं न कि जो लोग कहते हैं।’ गालिब के दादा और मां ने कहा कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य कश्मीर मुद्दे पर होने वाली बहस में किसी के साथ भी नहीं जुड़ा।
गालिब का कहना है कि उसे सुरक्षाबलों से कभी किसी तरह के शोषण का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘जब मैं उनसे (सुरक्षाबलों) मिलता हूं तो वह मुझे प्रोत्साहित करते हैं। वह मुझसे कहते हैं कि यदि मैं मेडिसिन की पढ़ाई करना चाहता हूं तो वह कभी मेरे या मेरे परिवार में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। वह कहते हैं कि मुझे अपने सपनों की तरफ केंद्रीत होना चाहिए और एक डॉक्टर बनना चाहिए।’