इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राजधानी लखनऊ और प्रदेश की जहरीली होती जा रही हवा पर गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि लोगों और आने वाली पीढ़ी का जीवन दांव पर है।
प्रदूषण किसी नरसंहार से अधिक लाखों लोगों की जिंदगी निगल जाता है। कोर्ट ने इस मामले में उपचारात्मक कदम उठाने की बात कही है। इस सिलसिले में सहयोग के लिए कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को तलब किया है। कोर्ट ने उन्हें इस संबंध में रिकॉर्ड और स्टडीज साथ लाने को कहा है। मामले की अग्रिम सुनवाई एक मार्च को होगी।
यह आदेश जस्टिस शबीहुल हसनैन व जस्टिस सीडी सिंह की बेंच ने सक्षम फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका में मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर राजधानी में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने का मुद्दा उठाया गया है। पेट्रोल पम्पों से उत्पन्न होने वाले कैसर का मामला उठाते हुए याचिका में कहा गया है कि पिछले 50 वर्षो में जहां प्रदेश में मात्र छह हजार पम्प थे वहीं अभी नौ हजार पम्प और खुलने जा रहे हैं, इससे समस्या और भी विकराल हो जाएगी। याचिका में पम्पों पर वेपर रिकवरी सिस्टम भी लगाने की मांग की गई है। याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने भी मुद्दे का समर्थन किया।