लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट सोमवार से निजी हाथों में चला गया। अडानी समूह को 50 वर्षों के लिए एयरपोर्ट के प्रबंधन, परिचालन का ठेका मिला है। लखनऊ के लिए अडानी समूह ने सबसे बड़ी बोली लगाई थी। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने सोमवार को यह जानकारी मीडिया को दी है।
एएआई के मुताबिक लखनऊ के अलावा अहमदाबाद, तिरुअनन्तपुरम, मंगलुरु और जयपुर एयरपोर्ट का भी अडानी समूह को ठेका मिला है। लखनऊ के लिए इस समूह ने सबसे ऊंची बोली 177 रुपये प्रति यात्री लगाई थी। दूसरी सबसे बड़ी बोली एएमपी कैपिटल ने लगाई थी। लखनऊ एयरपोर्ट की सालाना 50 लाख से अधिक यात्रियों की क्षमता है। अभी तक लखनऊ एयरपोर्ट की जिम्मेदारी एयरपोर्ट अथारिटी संभाल रहा था। एयरपोर्ट सूत्रों के अनुसार 28 को स्वामित्व की चिट्ठी मिल जाने के बाद एयरपोर्ट का जिम्मा निजी कंपनी संभाल लेगी।
मौजूदा समय एयरपोर्ट के रनवे विस्तार की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा दूसरा रनवे बनाया जाना है। टैक्सी वे बनाया जाना है जहां उड़ान भरने से पहले और उतरने के बाद विमान जा सकेंगे और रनवे खाली रहेगा। इन कामों में तेजी आएगी। रनवे विस्तार और टैक्सी वे का निर्माण होने के बाद उड़ान भरने वाले विमानों को पांच से आठ मिनट देरी का सामना नहीं करना पड़ेगा। 1300 करोड़ से नया टर्मिनल-3 बनाया जा रहा है। इस विशालकाय टर्मिनल के लिए मौजूदा अन्तरराष्ट्रीय टर्मिनल तोड़ा जाएगा। इस काम में और तेजी आएगी। यात्रियों को और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। रखरखाव निजी हाथों में आने के बाद साफ सफाई से लेकर साज सज्जा तक के लिए कर्मचारियों की कमी आड़े नहीं आएगी।
एयरपोर्ट अथारिटी के पास एयर ट्रैफिक कंट्रोल और नेविगेशन रहेगा। यानी विमानों के संचालन की जिम्मेदारी उसी के पास आगे भी रहेगी। इसके अलावा नए बने प्रशासनिक भवन और अन्य सम्पत्तियों का क्या होगा यह भी साफ नहीं है।