राष्ट्रपति ने डीएवी काॅलेज, कानपुर के शताब्दी वर्ष समारोह को सम्बोधित किया
कानपुर : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने 19वीं सदी के पुनर्जागरण में अग्रणी भूमिका निभायी। वर्ष 1874 में उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की। शिक्षा और सामाजिक सुधार, समाज को प्रगति के मार्ग पर ले जाने का सशक्त माध्यम है। इसलिए स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया और ज्ञानवान समाज के लिए वेदों के ज्ञान को व्यावहारिक बताया। वे आन्तरिक, सच्चरित मानसिक विकास और वैज्ञानिक चिन्तन के हिमायती थे। राष्ट्रपति ने यह विचार सोमवार को जनपद कानपुर में डी0ए0वी0 काॅलेज के शताब्दी वर्ष समारोह के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आदर्शों का समाज बनाने के लिए अब से 131 वर्ष पूर्व लाहौर में लाला हंसराज ने डी0ए0वी0 स्कूल की स्थापना की। इसके उपरान्त पूरे देश में अन्य स्थानों पर डी0ए0वी0 शिक्षण संस्थानों की स्थापना की गई। वर्ष 1919 में डी0ए0वी0 काॅलेज, कानपुर की स्थापना हुई। डी0ए0वी0 काॅलेज, कानपुर के शताब्दी समारोह में शामिल होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस काॅलेज की शिक्षा पद्धति में विरासत और आधुनिकता, हिन्दी और अंग्रेजी, भारतीय ज्ञान परम्परा और पाश्चात्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अद्भुत सामंजस्य और सहयोग है। इसने अनेक पीढ़ियों को ज्ञानवान बनाया और उनके विचारों व संकल्पों को दिशा दी है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आर्य समाज ने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान उल्लेखनीय कार्य किया। शिक्षा को आधुनिकता और संस्कारों के साथ जोड़ने का जो कार्य आर्य समाज द्वारा किया गया, उससे स्वाधीनता की आधारशिला तैयार हुई। डी0ए0वी0 की संस्थाओं ने शैक्षिक पुनर्जागरण में बड़ी भूमिका निभायी। वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने नए भारत के निर्माण के लिए ‘संकल्प से सिद्धि’ का मंत्र दिया है। इसके तहत वर्ष 2022 में देश की आजादी के 75वें वर्ष में गरीबी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नक्सलवाद, अराजकता आदि समस्याओं का समाधान किया जाना है।