सहारनपुर के देवबंद से गिरफ्तार जैश-ए-मोहम्मद के दोनों संदिग्ध आतंकियों को पुलवामा हमले की जानकारी पहले से ही थी। इन दोनों की ओर से पाकिस्तान में बैठे जैश के आकाओं से मोबाइल एप के जरिये हुई कॉलिंग और चैटिंग से इसकी पुष्टि हुई है। सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि ये दोनों आतंकी अगर पहले ही पकड़े जाते तो पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हमले को रोका जा सकता था।
सूत्रों ने बताया कि दोनों आतंकी जम्मू-कश्मीर में कुलगाम के शहनवाज तेली और पुलवामा के आकिब अहमद मलिक दिसंबर-2018 से देवबंद के एक हॉस्टल में छात्र के रूप में रह रहे थे। आतंकियों से बरामद मोबाइल की जांच से पता चला है कि वे एक खास एप के जरिये इंटरनेट कॉलिंग और चैटिंग से पाकिस्तान में लगातार बातचीत करते थे। ये बातचीत पुलवामा हमले से पहले और बाद की बताई जा रही है।
कई दिन पहले रची गई थी साजिश
मोबाइल चैटिंग से पता चला है कि पुलवामा हमले की साजिश कई दिन पहले रची गई थी। शहनवाज तेली और आकिब को इस हमले की बखूबी जानकारी थी। एटीएस अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों के मोबाइल से बरामद चैटिंग व कॉलिंग के रिकॉर्ड और जेहादी वीडियो व फोटो का फॉरेंसिक परीक्षण कराया जा रहा है। इससे इनके नेटवर्क को तोड़ने में काफी हद तक मदद मिल सकती है।
पुलवामा हमले से लिंक की हो रही जांच
आकिब के मोबाइल से पता चला कि पिछले पांच-छह दिन में वह पुलवामा में ज्यादा बात कर रहा था। हालांकि, पूछताछ में उसने बताया कि पुलवामा में उसके पिता मोहम्मद अकबर परिवार के साथ रहते हैं। मोबाइल पर वह परिवार के लोगों से ही बात करता था। हालांकि, पुलवामा हमले से इन दोनों आतंकियों का लिंक है या नहीं, एटीएस इसकी छानबीन में जुटी हुई है।
आदिल से तो नहीं जुड़े हैं तार
गत 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हमले में मारा गया जैश का फिदायीन आतंकी आदिल डार भी पुलवामा के गुंडीबाग का रहने वाला था। ऐसे में खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि कही इन दोनों आतंकियों के तार आदिल से तो नहीं जुड़े हैं।
डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि पुलवामा हमले से इन आतंकियों का लिंक है या नहीं, यह कहना अभी मुश्किल है। दोनों आतंकियों से कड़ी पूछताछ के बाद ही इस संबंध में तस्वीर साफ हो पाएगी।