लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आवंटित सरकारी बंगले को खाली करने से पहले उसमें की गई तोडफ़ोड़ पर राज्यपाल राम नाईक ने गंभीर रख अख्तियार किया है। राज्य संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की शिकायतों, खबर व चर्चा का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्यपाल ने आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर राज्य संपत्ति को क्षति पहुंचाने पर कानून के अनुसार कार्रवाई करने को कहा है। राज्यपाल राम नाईक ने राज्य संपत्ति विभाग के अधिकारियों को तलब कर पूरे प्रकरण की जानकारी भी हासिल की।
राज्यपाल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को राजधानी के चार, विक्रमादित्य मार्ग पर आवंटित सरकारी आवास को खाली करने से पूर्व उसमें की गई तोडफ़ोड़ और क्षतिग्रस्त करने का मामला मीडिया तथा जनमानस में चर्चा का विषय है। यह नितान्त अनुचित और गंभीर मामला है। पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित किये गए सरकारी आवास राज्य संपत्ति की श्रेणी में आते हैं। इनका निर्माण व रखरखाव सामान्य नागरिकों के विभिन्न प्रकार के करों से होता है। लिहाजा राज्य संपत्ति को क्षति पहुंचाना ठीक नहीं।
मुख्यमंत्री को पत्र भेजने से पहले राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी आवासों को खाली कराने के प्रकरण की जानकारी लेने के लिए राज्य सम्पत्ति विभाग के अधिकारियों को भी बुलाया। अधिकारियों ने बताया कि सभी बंगलों की वीडियोग्राफी कराई गई लेकिन, इनमें से केवल चार, विक्रमादित्य मार्ग वाले बंगले में तोडफ़ोड़ की बात सामने आयी है।
पीडब्लूडी भी करेगा नुकसान का आकलन
राज्य संपत्ति विभाग केपास अखिलेश यादव के बंगले पर हुए खर्च का हिसाब भी नहीं है। सूत्रों का कहना है इस बंगले के लिए अलग-अलग मदों में कुल 42 करोड़ रुपये जारी किये गए थे। इसमें राज्य संपत्ति विभाग की ओर से केवल 89.99 लाख रुपये खर्च करना ही विभागीय रिकार्ड में दर्ज है।
राज्य संपत्ति अधिकारी योगेश कुमार शुक्ला का कहना है कि बाकी धनराशि का पता लगाया जा रहा है। इसके लिए लोक निर्माण विभाग की मदद ली जा रही है। पीडब्लूडी से भी क्षति का आकलन करने को कहा गया है। रिपोर्ट जल्द ही तैयार की जाएगी।
अखिलेश ने आठ को सौंपी चाबी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगले खाली कराये जाने की अंतिम तारीख तीन जून थी। सूत्रों का कहना है कि अखिलेश ने दो जून को ही बंगला खाली कर दिया लेकिन कुछ सामान रखा होने की बात कहकर उस समय चाबी राज्य संपत्ति विभाग को नहीं सौंपी। राज्य संपत्ति अधिकारी योगेश कुमार शुक्ला के अनुसार उन्हें आठ जून को चार विक्रमादित्य मार्ग स्थित सरकारी आवास की चाबी मिली थी।