लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार विकास के किसी भी काम में कोई बाधा नहीं चाहती। इसका संकेत सरकार ने आज कैबिनेट मीटिंग में दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अध्यक्षता में आज कैबिनेट बैठक में सरकार की योजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन में आने वाली अड़चनों को दूर करने की गरज से परियोजनाओं की पुनरीक्षित लागत के प्रस्तावों के मूल्यांकन की व्यवस्था में संशोधन किया है।
कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी है। पहले परियोजना की लागत में 50 प्रतिशत से अधिक वृद्धि होने पर अत्यंत कम धनराशि के प्रस्ताव भी व्यय वित्त समिति को भेजे जाते थे लेकिन, सरकार ने तय किया है कि 25 करोड़ रुपये तक की पुनरीक्षित लागत के प्रस्ताव को प्रशासकीय विभाग खुद मंजूरी दे सकेंगे। इससे अधिक के प्रस्तावों का परीक्षण ही व्यय वित्त समिति को भेजा जाएगा।
लोकभवन में आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई। इसके समेत कुल सात फैसले किये गए। राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में व्यय वित्त समिति गठित है। परियोजनाओं की लागत में 50 प्रतिशत से अधिक वृद्धि होने पर ऐसे सभी पुनरीक्षित प्रस्ताव व्यय वित्त समिति के पास भेजे जाने की वजह से योजनाओं में विलंब होने के साथ-साथ जनशक्ति पर भी बोझ पड़ता है। कैबिनेट ने इस संशोधन प्रस्ताव को मंजूर किया है।
नई व्यवस्था के तहत पांच करोड़ रुपये तक के पुनरीक्षित लागत के प्रस्तावों का परीक्षण प्रशासकीय विभाग करेगा। जिन विभागों में मुख्य अभियंता तैनात हैं, वह विभाग पांच करोड़ रुपये से अधिक और 25 करोड़ रुपये तक की पुनरीक्षित लागत के प्रस्तावों का परीक्षण कर सकेंगे। जिन विभागों में मुख्य अभियंता तैनाती नहीं हैं, उनमें पांच करोड़ रुपये से अधिक और 25 करोड़ रुपये तक की पुनरीक्षित लागत के प्रस्तावों का परीक्षण नियोजन विभाग के अधीन गठित प्रायोजना मूल्यांकन एवं रचना प्रभाग (पीएफएडी) और प्रशासकीय विभाग करेंगे।