उप्र चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ के महामंत्री सुरेश यादव और राजकीय वाहन चालक संघ के महामंत्री प्रेम प्रकाश ने पिछले दिनों सीएम को ज्ञापन सौंपकर पूरे मामले की जानकारी दी थी। इस पर मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव को सात दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। सीएम ने पूछा है कि छह माह में आईआईएम ने क्या काम किया है और कार्मिक विभाग से काडर पुनर्गठन क्यों नहीं कराया गया? उधर, उप्र वाणिज्य कर सेवा संघ के अध्यक्ष राज्यवर्धन सिंह तथा महामंत्री अवनीश मिश्रा ने वाणिज्य कर आयुक्त अमृता सोनी को सौंपे ज्ञापन में कहा है है कि आईआईएम के जिस प्रोफेसर को काडर पुनर्गठन का काम सौंपा था, उनका इंदौर तबादला हो चुका है। इसके बाद एसोसिएट प्रोफेसर को काडर पुनर्गठन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दोनों संघो ने काडर पुनर्गठन का काम कार्मिक विभाग से कराने की मांग की है।
सीएम योगी ने तलब की वाणिज्य कर विभाग के काडर पुनर्गठन मामले की रिपोर्ट
सरकार के पास भारी-भरकम स्टाफ वाला कार्मिक विभाग होने के बाद भी वाणिज्य कर विभाग के काडर पुनर्गठन के लिए आईआईएम को 69 लाख का भुगतान करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। वाणिज्य कर विभाग के इस फैसले के खिलाफ अधिकारी व कर्मचारी संगठनों की शिकायतों के आधार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपर मुख्य सचिव वाणिज्य कर से इस मामले पर एक सप्ताह में रिपोर्ट तलब की है।
अब तक सरकारी विभागों के काडर पुनर्गठन का काम कार्मिक विभाग ही करता था, लेकिन जीएसटी लागू होने और मनोरंजन कर विभाग के वाणिज्य कर विभाग में विलय के बाद काडर पुनर्गठन का काम आईआईएम को दे दिया गया। इसके लिए वाणिज्य कर विभाग ने आईआईएम को 69 लाख रुपये दे भी दिए। भुगतान के करीब छह माह बाद भी आईआईएम ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया। उधर अधिकारी व कर्मचारी संगठनों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई कि जीएसटी जटिल कानून है और आईआईएम के प्रोफेसरों को इसके बारे में जानकारी तक नहीं है। फिर भी उन्हें काडर पुनर्गठन का काम आईआईएम को दिया जाना समझ से परे है।