अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) द हेग में आज से कुलभूषण जाधव के मामले में सार्वजनिक सुनवाई शुरू हो गई है। भारत और पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं। बता दें द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय विवादों को हल करने के लिए आईसीजे की स्थापना की गई थी। अदालत में भारत का पक्ष वकील हरीश साल्वे रख रहे हैं।
भारत की दलील
भारत ने दलील दी है कि पाकिस्तान के पास कोई ठोस दलील नहीं है। कुलभूषण जाधव को रिहा किया जाए। पाक ने जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस नहीं दिया है। जबकि भारत कन्सुलर एक्सिस का अनुरोध भेजता रहा है। पाकिस्तान ने विएना संधि का भी उल्लंघन किया है। पाक आईसीजे का इस्तेमाल प्रोपेगेंडा के लिए कर रहा है।
साल्वे ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को 30 मार्च, 2016 को जाधव के लिए कॉन्सुलर एक्सेस का अनुरोध भेजा था। लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। कई अन्य तारीखों पर भारत की ओर से 13 रिमाइंडर भेजे गए थे।
पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने कहा, जाधव मामले में राजनयिक संपर्क पर वियना संधि के उल्लंघन सहित केवल दो मूल मुद्दे हैं। उन्होंने कहा कि जांच का भी पता नहीं है और मौत की सजा सुना दी गई। भारत की ओर से दलील में कहा गया है कि पाक मिलिट्री कोर्ट की सुनवाई ठीक नहीं है। जाधव को वकील तक नहीं दिया गया। पाक ने कई भरोसेमंद सबूत नहीं दिए हैं।
भारत जाधव की सजा रद्द करने का आदेश देने की मांग करेगा
बता दें पाकिस्तानी सेना की अदालत ने अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर भारतीय नागरिक जाधव (48) को मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने इसके खिलाफ उसी साल मई में आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था।आईसीजे की 10 सदस्यीय पीठ ने 18 मई 2017 में पाकिस्तान को मामले में न्यायिक निर्णय आने तक जाधव को सजा देने से रोक दिया था।
आईसीजे ने हेग में 18 से 21 फरवरी तक मामले में सार्वजनिक सुनवाई का समय तय किया है और मामले में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले हरीश साल्वे के 18 फरवरी को पहले दलीलें पेश करने की संभावना है।
पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिवक्ता खावर कुरैशी 19 फरवरी को देश की ओर से दलीलें पेश करेंगे। इसके बाद भारत 20 फरवरी को इस पर जवाब देगा जबकि इस्लामाबाद 21 फरवरी को अपनी आखिरी दलीलें पेश करेगा। ऐसी उम्मीद है कि आईसीजे का फैसला 2019 की गर्मियों में आ सकता है।
वहीं भारत कथित भारतीय जासूस की मौत की सजा को रद्द करने का पाकिस्तान को आदेश देने का अनुरोध कर रहा है। इससे, जम्मू कश्मीर में सुरक्षा कर्मियों पर हुए घातक हमले के बाद दोनों देशों के बीच फिर से तनाव बढ़ सकता है।
कुलभूषण सुधीर जाधव को मार्च 2016 में पाकिस्तन के अशांत प्रांत बलूचिस्तान से जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
अंतरराष्ट्रीय अदालत ने 2017 में जाधव की मौत की सजा की तालीम पर तत्काल रोक का आदेश दिया था। तब से इस अहम भारतीय मामले की सुनवाई लंबित है।
जम्मू कश्मीर में बृहस्पतिवार को एक फिदायीन हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय अदालत में दो परमाणु हथियारों से लैस प्रतिद्वंद्वियों के बीच यह टकराव का एक और मसला हो सकता है। इस हमले में 40 सुरक्षा कर्मियों की जान गई है।
भारत के वकील सोमवार को अपनी दलीलें देंगे जिसके बाद मंगलवार को पाकिस्तान अपना पक्ष रखेगा।
भारत ने कहा है कि अगर पाकिस्तान जाधव की मौत की सजा रद्द नहीं करता है तो इस्लामाबाद को अंतरराष्ट्रीय कानून एवं संधियों का उल्लंघन करने वाला करार देना चाहिए और भारतीय नागरिक को तुरंत रिहा करने का आदेश देना चाहिए।
पाक नहीं दे पाया जाधव के खिलाफ कोई सबूत
हरीश साल्वे ने आईसीजे में कहा कि 19 जून 2017 को पाकिस्तान के जांच में सहयोग के अनुरोध पर भारत ने कहा था कि जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस से वंचित रखा गया लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा कोई मजबूत सबूत पेश नहीं किया जिससे यह साबित हो सके कि जाधव किसी प्रकार की आतंकी गतिविधि में लिप्त था। इसके साथ ही साल्वे ने कहा कि जाधव की कथित स्वीकारोक्ति भी स्पष्ट तौर पर दबाव में करवाई गई लगती है।
साल्वे ने आईसीजे में कहा कि पाकिस्तान ने जाधव के परिवार को उससे मिलने की अनुमति दी। इसे लेकर शर्तों पर सहमति बनी और 25 दिसंबर 2017 को मुलाकात तय की गई। लेकिन जिस तरीके से जाधव के परिजनों को उससे मिलवाया गया उसके तरीके पर भारत को निराशा हुई और 27 दिसंबर को भारत ने इसके विरोध में पत्र लिखा था।
कॉन्सुलर एक्सेस दिलाने में क्यों लग गए तीन महीने : साल्वे
साल्वे ने जाधव का पक्ष रखते हुए कहा कि पाकिस्तान को उचित स्पष्टीकरण देना चाहिए कि उसे कॉन्सुलर एक्सेस दिलवाने में तीन महीने का समय क्यों लग गया, जिस पर पाक ने दावा किया है कि उसने संधि बाध्यता का अनुपालन किया है।