सन्यासी सीएम के सूबे में एक दिन में हुए 15 हजार से अधिक विवाह
राघवेंद्र प्रताप सिंह
लखनऊ : देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के सन्यासी एवं योगी मुख्यमंत्री भले ही स्वयं गृहस्थ ना हों लेकिन सरकार के मुखिया होने के नाते वह राज्य में चल रही ‘मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना’ के सिर्फ कर्णधार ही नहीं बल्कि प्रेरणास्रोत भी हैं। राज्य में अपनी सत्ता के लगभग 22 महीने पूरे करने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना को लेकर खासी सजग है और लगातार सामूहिक विवाह के कार्यक्रम आयोजित कर रही है। परिणामों से उत्साहित योगी ने इसके तहत दी जाने वाली राशि 35 हजार से बढाकर 51 हजार रूपये कर दी है। प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री का कहना है कि समाज में सर्वधर्म-सम्भाव तथा सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना संचालित है।
वह बताते हैं कि इस योजना के तहत विभिन्न समुदाय एवं धर्मों के रीति-रिवाजों के अनुसार सामूहिक विवाह सम्पन्न कराया जाता है।सरस्वती पूजन के वार्षिक उत्सव बसंत पंचमी से ठीक एक दिन पहले सूबे के विभिन्न जिलों में एक ही दिन में 15 हजार 384 जोडों का सामूहिक विवाह संपन्न कराया गया जबकि लक्ष्य दस हजार जोड़ों के सामूहिक विवाह का था। योगी सरकार बनने के बाद पिछले वर्ष से अब तक 50 हजार से अधिक जोड़ों का सामूहिक विवाह सरकारी खर्च पर किया गया है। समाजशास्त्री एवं अधिवक्ता मधुमय मिश्र ने से कहा कि प्रयोग अभिनव है और यह गरीब-बेसहारा एवं वंचितों के परिवारों की कन्याओं के जीवन में नये अध्याय को जोड़ता है। इससे समाज में ना सिर्फ चेतना जाग्रत होती है बल्कि जातिगत दीवारें भी ध्वस्त होती हैं।
योजना के अन्तर्गत नव विवाहित जोड़ों के जीवन में खुशहाली एवं गृहस्थी हेतु कन्या के खाते में चेक के माध्यम से 35 हजार रुपये की धनराशि का अनुदान एवं आवश्यक सामग्री यथा कपड़े, बिछिया, पायल, बर्तन आदि एवं 10 हजार रुपये की धनराशि से आवश्यक वैवाहिक सामग्री प्रदान की जाती है। वहीं प्रत्येक जोड़े के विवाह आयोजन पर छह हजार रुपये व्यय किये जाने की व्यवस्था है। इस प्रकार योजना के तहत एक जोड़े के विवाह पर कुल 51 हजार रुपये की धनराशि दिये जाने की व्यवस्था है। इस योजना के तहत दो लाख रूपये सालाना आय सीमा के तहत आने वाले परिवार कवर होते हैं। योजना के तहत विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता महिलाओं के पुर्निववाह की भी व्यवस्था है। नगरीय निकायों (नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद, नगर निगम) क्षेत्र पंचायत जिला पंचायत स्तर पर पंजीकरण एवं न्यूनतम 10 जोड़ों के विवाह पर सामूहिक विवाह आयोजन की व्यवस्था की गई है।