पुलावामा आतंकी हमले पर बड़ी कार्रवाई करते हुए सुरक्षा बलों ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में लगातार छापेमारी जारी है. 6 लोगों को सिंबू नबल और लारू क्षेत्र से जबकि एक व्यक्ति को रामू गांव से हिरासत में लिया गया है. ये कार्रवाई राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के जांचकर्ताओं की टीम के जम्मू-कश्मीर में पहुंचने के बाद की गई. एनआईए की टीम जम्मू-कश्मीर की पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही है. राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के विशेषज्ञों की टीम भी घटनास्थल पर पहुंची. हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए.
उधर, सीआरपीएफ काफिले पर हमले के जम्मू-कश्मीर दौरे पर पहुंचे गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इसके बाद उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक की. गृहमंत्री ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि ये फ़ैसला लिया गया है कि अब जब भी सैनिकों का बड़ा काफिला चलेगा तो आम लोगों का आवागमन थोड़ी देर रोका जाएगा, इससे उन्हें दिक्कत तो होगी, लेकिन इसके लिए क्षमा चाहेंगे.
गृहमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में कुछ तत्वों के तार आईएसआई और आतंकी संगठनों से जुड़े हैं. हम आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई जीतेंगे. पूरी दुनिया आतंकवाद के साथ खड़ी है. भारत सरकार शहीद जवानों के परिवार के साथ खड़ी है. सभी राज्य सरकारों से अपील है कि शहीदों के परिवारों की मदद करें.
गृहमंत्री ने कहा, सभी अधिकारियों को अवश्यक निर्देश दे दिए गए हैं, सीमा-पार से आतंक फैलाने वालों के मंसूबे कामयाब नहीं होने देंगे. सभी राज्य सरकारों से भी मैंने यह अनुरोध किया है कि जो भी गरीब परिवारों की अधिकतम मदद कर सकते हो वह अधिकतम मदद करें और मैं बता देना चाहता हूं कि हमारे सुरक्षाबलों के हौसले पूरी तरह से बुलंद हैं और आतंकवाद के खिलाफ हम जो निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं उसमें हमें कामयाबी मिलेगी.
भारत ने पाकिस्तान स्थित उच्चायुक्त को दिल्ली बुलाया
भारत ने पाकिस्तान में स्थित अपने उच्चायुक्त अजय बिसारिया को पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर ‘विचार-विमर्श’ के लिए नई दिल्ली बुलाया है. जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा जिले में गुरुवार को सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले में 45 जवान शहीद हो गए थे. पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी.
भारत ने सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति(सीएसएस) की बैठक के बाद पाकिस्तान को दिए मोस्ट फेवर्ड नेशन(एमएफएन) दर्जे को वापस लेने की घोषणा की और पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय रूप से अलग-थलग करने के लिए काम करने पर प्रतिबद्धता जताई.