जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में तनाव और बढ़ गया है. इस हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई कैबिनेट कमेटी और सिक्योरिटी की बैठक में पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा वापस लेने का बड़ा फैसला लिया गया. भारत के इस कदम से कंगाली से गुजर रहे और कर्जे में डूबे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है. यहां यह बताना बेहद जरूरी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 2012 के आंकड़े के मुताबिक़, करीब 2.60 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है. ऐसे में पाक को भारत के साथ कारोबारी लिहाज से बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा.
आइये जानते हैं क्या है मोस्ट फेवर्ड नेशन का मतलब और इसके मायने…
दरअसल, मोस्ट फेवर्ड नेशन का मतलब है सबसे ज्यादा तरजीही वाला देश. MSN का दर्जा मिलने के बाद दर्जा प्राप्त देश को इस बात का आश्वासन रहता है कि उसे कारोबार में कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के आधार पर बिजनेस में सबसे अधिक तरजीह वाले देश (एमएफएन) का दर्जा दिया जाता है. डब्ल्यूटीओ बनने के साल भर बाद भारत ने पाकिस्तान को 1996 में एमएफएन का दर्जा दिया था, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से भारत को ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया गया था.
इस दर्जे से किसी देश को क्या लाभ होते हैं…
यह दर्जा दो देशों के मध्य कारोबार में दिया जाता है. इससे अंतर्गत दोनों मुल्क एक दूसरे को आयात और निर्यात में विशेष छूट देते हैं. विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश खुले व्यापार और बाजार के नियमों में बंधे हुए हैं, लेकिन एमएफएन के नियमों के तहत देशों को विशेष छूट दी जाती है.
भारत-पाक के बीच इन चीजों का है बड़ा कारोबार
भारत और पाकिस्तान के बीच सीमेंट, चीनी, रुई, सब्जियों, ऑर्गेनिक केमिकल, चुनिंद फल, ड्राई फ्रूट्स, मिनरल ऑयल, स्टील जैसी कमोडिटीज़ और वस्तुओं का कारोबार दोनों देशों के बीच होता है.
पहले भी हो चुकी है समीक्षा
इससे पहले 2016 में उरी में हुए आतंकी हमले के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाई लेवल मीटिंग बुलाई थी, जिसमें पाकिस्तान को दिए गए एमएफएन के दर्जे की समीक्षा की गई थी. उरी हमले से पहले से भी यह मांग होती रही कि पाकिस्तान से यह दर्जा छीन लिया जाए. हालांकि भारत की तरफ से इसे जारी रखा गया था.