सही प्रतिपूर्ति न मिलने पर निजी स्कूल नहीं लेंगे आरटीई में दाखिला

लखनऊ : अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि बीएसए कार्यालय ने 260 स्कूलों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत 450/- रूपये प्रति माह देने का निर्णय लिया है जो कि आर.टी.ई. अधिनियम 2009 की धारा 12(2) एवं सुप्रीम कोर्ट के 12 अप्रैल 2012 के निर्णय के खिलाफ है एवं देश के कानून का खुला उल्लंघन है। अनिल अग्रवाल ने बताया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12(2) एवं सुप्रीम कोर्ट के 12 अप्रैल 2012 के निर्णय में साफ तौर पर वर्णित है कि सरकारी स्कूलों में प्रति छात्र व्यय एवं निजी स्कूलों की प्रति छात्र फीस में जो भी धनराशि कम होगी, उसी धनराशि का भुगतान शिक्षा विभाग निजी स्कूलों को प्रतिपूर्ति के रूप में देगा, अन्यथा यह सुप्रीम कोर्ट के 12 अप्रैल 2012 के निर्णय के अनुसार संविधान के अनुछेद 19(जी) के अंतर्गत निजी स्कूलों के मौलिक अधिकारों का हनन होगा।

उन्होने बताया कि उत्तर प्रदेश शिक्षा के अधिकार नियमावली 2011 में सरकारी स्कूलों में प्रति छात्र व्यय की गणना का फार्मूला भी दिया गया है। जिसके अनुसार शासन को हर वर्ष 30 सितम्बर को सरकारी स्कूलों में हो रहे प्रति-छात्र व्यय को घोषित करना होता है। लेकिन यह आश्चर्य की बात है कि आज तक शिक्षा विभाग ने पिछले 6 वर्षों में किसी भी वर्ष की 30 सितम्बर (1) 30 सितम्बर 2013, (2) 30 सितम्बर 2014, (3) 30 सितम्बर 2015, (4) 30सितम्बर2016,(5) 30 सितम्बर 2017 तथा (6) 30 सितम्बर 2018 को सरकारी स्कूलों में हो रहे प्रति छात्र व्यय को घोषित ही नहीं किया जबकि निजी स्कूल हर वर्ष अपने प्रॉस्प्रेक्टस में अपनी फीस का ब्योरा छपवाते हैं एवं उसी आधार पर स्कूल अपने यहां दाखिला लेते हैं।

अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने  कहा जब तक शासन सरकारी स्कूलों में हो रहे प्रति-छात्र व्यय को घोषित नहीं करेगा, तब तक यह निर्णय कैसे होगा की निजी स्कूलों की फीस एवं सरकारी स्कूलों के प्रति-छात्र व्यय में से कौन सी धनराशि कम है? जिससे कि उस धनराशि का भुगतान निजी स्कूलों को प्रतिपूर्ति के रूप में शिक्षा विभाग द्वारा किया जा सके? यह समझ में नहीं आ रहा है कि शासन द्वारा शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की किस धारा के अंतर्गत 450/- रूपये प्रतिमाह की प्रतिपूर्ति, वर्ष 2013 के लिए निर्धारित की थी। तथा उसके उपरान्त शासन ने किसी भी वर्ष के लिए प्रतिपूर्ति की घोषणा ही नही की है।

श्री अनिल अग्रवाल ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी मौखिक रूप से पिछले 6 वर्षों से आश्वासन देते रहें हैं कि इस वर्ष आप वर्तमान प्रतिपूर्ति धनराशि प्रति बच्चा प्रतिमाह 450/- रूपये स्वीकार कर लीजिए एवं प्रतिपूर्ति की बकाया धनराशि शिक्षा विभाग अधिनियम की धारा 12(2) के अनुसार निर्धारित करके अगले वर्ष में निजी स्कूलों को पूरी पुरानी बकाया धनराशि दे देगा। और आगे से आर.टी.ई. एक्ट की धारा 12(2) के अनुसार ही प्रतिपूर्ति की धनराशि का भुगतान करेगा। अभी तक पिछले 6 वर्षों कि बकाया धनराशि का भुगतान अधिनियम की धारा 12(2) के अनुसार नहीं हुआ है। इस वर्ष निजी स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कोरे आश्वासन पर दाखिला नहीं देंगे। जब तक कि पिछले 6 वर्षों की पूरी बकाया धनराशि का भुगतान अधिनियम की धारा 12(2) के अनुसार नहीं हो जाता।

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