आज हम देश की सबसे बड़ी Killing Machine का DNA टेस्ट करेंगे और लोगों को मारने वाली इस Machine का नाम है System. कल रात को दिल्ली के एक होटल में लोग गहरी नींद में सो रहे थे. तभी अचानक आग लग गई और 17 लोगों की मौत हो गई. आग भयानक थी और राहत कार्य की व्यवस्था बहुत सुस्त थी. जब पूछा जाएगा कि इसका ज़िम्मेदार कौन है? तो कह दिया जाएगा कि ये सब कुछ सिस्टम ने किया है. हमारे देश में लोग जर्जर इमारतों के नीचे दबकर मर जाते हैं. गड्ढों में गिरकर मर जाते हैं.
पुल गिरने से लोगों की मौत हो जाती है. लोग ट्रेन से कटकर मारे जाते हैं और इसका दोष सिस्टम पर डाल दिया जाता है. सवाल ये है कि ये सिस्टम कौन है? सिस्टम का कोई नाम नहीं होता, कोई चेहरा नहीं होता, दुनिया की किसी भी अदालत में सिस्टम को कठघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता, सिस्टम को फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता. उसे किसी अपराध की सज़ा नहीं दी जा सकती. और इस बात की आड़ में लापरवाही का सिलसिला चलता रहता है. आज हमारी कोशिश ये होगी कि हम सिस्टम नामक इस शब्द की गहराई तक जाएं. और इसके पीछे छिपे चेहरों को आपके सामने पेश करें.
हमारे देश में लोगों की जान कितनी सस्ती है और सिस्टम किस तरह लोगों की ज़िंदगी से खेलता है? इसका नया उदाहरण है दिल्ली के होटल अर्पित पैलेस में हुआ अग्निकांड. इस होटल में सुबह करीब साढ़े 4 बजे अचानक Short Circuit की वजह से आग लग गई. इस होटल में 45 कमरे थे और इनमें 55 लोग ठहरे हुए थे. हैरानी की बात ये है कि आग लगने के करीब एक घंटे बाद भी राहत और बचाव का काम शुरू नहीं हो पाया. इस वजह से 17 लोगों की मौत हो गई. इनमें से ज्यादातर लोगों की मौत, दम घुटने की वजह से हुई.
इस हादसे के दौरान Mobile फोन से कुछ हृदय विदारक तस्वीरें Record हुई. होटल में मौजूद तीन लोग अपनी जान बचाने के लिए, इसकी चौथी मंज़िल से नीचे कूद गए. इनमें से दो लोगों की मौत हो गई, जबकि तीसरा व्यक्ति कौन है. इसकी जांच अब भी जारी है.
चश्मदीदों और होटल में मौजूद लोगों ने बताया है.. कि इस घटना के 20 से 25 मिनट बाद फायर ब्रिगेड पहुंच गई थी. लेकिन आग बुझाने के लिए ऊपरी मंज़िल तक सीढ़ी नहीं पहुंच पा रही थी.. तो उन्होंने आश्चर्यजनक जवाब दिया. उन्होंने सफाई दी कि उन्हें ये पता ही नहीं था कि होटल कितनी मंज़िल का है? इसके बाद Hydraulic Platform मंगवाया गया. इस वजह से राहत और बचाव के काम में 20 से 25 मिनट और लग गए. जब तक राहत कार्य शुरू हुआ. तब तक आग लगे हुए करीब एक घंटा बीत चुका था. पूरे होटल में धुआं भर चुका था. वहां ऑक्सीजन की इतनी कमी हो चुकी थी कि लोगों के लिए जान बचाना बहुत मुश्किल था.
आश्चर्य की बात ये है कि इस होटल को Fire Department से NOC मिला हुआ था, लेकिन इसके बाद भी यहां पर आग को बुझाने वाले उपकरण काम नहीं कर रहे थे. चश्मदीदों ने बताया कि होटल में लगे Fire Smoke Detector काम नहीं कर रहे थे. ये एक ऐसा उपकरण होता है जो आग लगने पर अलार्म बजाता है.. और आग बुझाने वाले दूसरे उपकरणों को Activate कर देता है, लेकिन इस उपकरण ने अपना काम नहीं किया.
इस होटल में फंसे लोगों ने होटल के कमरे की खिड़कियों को खोलने की कोशिश की, लेकिन खिड़कियां जाम थीं. होटल में रुकने वाले एक व्यक्ति ने ये भी बताया कि कमरे में अग्निशमन यंत्र भी मौजूद नहीं थे. यानी इस तरह के होटल, आम लोगों से महंगा किराया वसूलते हैं. लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए कोई इंतज़ाम नहीं होते. इस होटल को आलीशान बनाने के लिए इसके निर्माण में लकड़ी का भी काफी इस्तेमाल किया गया था. होटल की सीढ़ियों को लकड़ियों से बनाया गया था और लकड़ी की इन्हीं सीढ़ियों की वजह से आग बहुत तेज़ी से होटल की ऊपरी मंज़िल तक पहुंच गई. इस होटल का आपातकालीन द्वार बंद था. इस वजह से भी लोग होटल से नहीं निकल पाए.
इस होटल को सिर्फ़ चार मंज़िल तक बनाने की इजाज़त थी. लेकिन इस होटल में 6 मंज़िलें बनी हुई थीं. होटल की छत पर Kitchen बना हुआ था. ये पूरी तरह से भ्रष्टाचार और अवैध कारोबार का खेल है. ये मौत नहीं हत्या का मामला है. इस होटल के एक कमरे का एक दिन का किराया 4000 रुपये है लेकिन इसमें लोगों को सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं दी गई थी.
इस मामले में होटल के General Manager और Manager को गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस ने होटल के मालिक के खिलाफ IPC की धारा 304 और 308 के तहत ये मामला दर्ज किया है. धारा 304 का मतलब है गैर इरादतन हत्या का मामला और इसमें 10 साल की क़ैद से लेकर उम्रकैद तक का प्रावधान है और धारा 308 का मतलब है जान लेने की कोशिश. इसमें 3 साल से लेकर 7 साल तक की जेल का प्रावधान है. ये धाराएं गैर ज़मानती हैं. यानी इनमें कोर्ट से ज़मानत लेनी होती है.
कोई भी हादसा या कड़वा अनुभव एक सबक देकर जाता हैं. लेकिन हमारे देश में हादसों और गलतियों से सबक नहीं लिया जाता. दिसंबर 2017 में मुबंई के कमला Mills कंपाउंड में मौजूद दो Restaurants में भी आग लगी थी और इसकी वजह से 14 लोगों की मौत हो गई थी. दिसबंर 2011 में कोलकाता में एक अस्पताल में Short Circuit की वजह से आग लगी थी, जिसमें 90 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में अस्पताल के Directors पर मुकदमा दर्ज हुआ था, लेकिन आज की तारीख में ये सभी आरोपी निचली अदालत द्वारा ज़मानत पर रिहा हो चुके हैं.
13 जून 1997 को दिल्ली में उपहार सिनेमा में भयानक अग्निकांड हुआ था. तब इसमें 59 लोगों की मृत्यु हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इस इमारत के मालिकों को अग्निकांड का दोषी पाया गया था. इनमें से एक दोषी… गोपाल अंसल को एक वर्ष की सज़ा हुई थी और वो व्यक्ति भी वर्ष 2017 में अपनी जेल की सज़ा पूरी होने के बाद छूट गया. हमारे देश में इंसानों की जान बहुत सस्ती है. ज़रा सोचिए कि 59 लोगों की मौत के लिए ज़िम्मेदार एक व्यक्ति को सज़ा हुई और वो भी एक वर्ष में जेल से छूट गया. उपहार सिनेमा के इस अग्निकांड को 22 साल बीत चुके हैं, लेकिन हम आज भी उसी जगह पर खड़े हैं, जहां 22 वर्ष पहले खड़े हुए थे.
आज हमने ये समझने की भी कोशिश की है कि आखिर इस अग्निकांड का जिम्मेदार कौन है? जिन लोगों से मिलकर हमारा सिस्टम बनता है, वो लोग कौन हैं? इस मामले की सबसे बड़ी जिम्मेदारी Fire Department की है, क्योंकि होटल का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए Delhi Fire Service से NOC मिलना ज़रूरी है. Fire Department की तरफ से NOC देने का ज़िम्मा M K चट्टोपाध्याय पर था. जो इस इलाके के Divison Officer थे. Delhi Fire Service के Director G C मिश्रा हैं.
Zee News ने इन अधिकारियों से बातचीत की. इन्होंने बताया कि इस होटल को वर्ष 2017 में NOC मिल गया था. NOC तीन वर्ष का होता है. इसके बाद Renew करवाना पड़ता है. Delhi Fire Service का कहना है कि इमारत की ऊपर की मंज़िलों में Fire Smoke Detector लगाना NOC के लिए जरूरी नहीं है. चश्मदीदों ने दावा किया था कि होटल में आग से बचने के इंतजाम नहीं थे, लेकिन अधिकारियों ने ये सफाई दी है कि होटल में आग से बचने से सारे उपाय मौजूद थे, लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं किया गया.
होटल के निर्माण में लकड़ी का इस्तेमाल बहुत बड़े पैमाने पर हुआ था. जिसकी वजह से आग बहुत ज्यादा तेजी से फैली. दिल्ली फायर सर्विस का कहना है कि ये काम होटल ने NOC मिलने के बाद, अवैध रूप से करवाया. होटल की छत पर Kitchen का निर्माण भी अवैध रूप से हुआ था. NOC देते वक्त ये Floor… Seal था. लेकिन बाद में इसे अवैध रूप से खोल दिया गया.
हमने इन अधिकारियों से ये भी पूछा कि क्या आप NOC देने के बाद किसी इमारत की दोबारा जांच नहीं करते हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि सभी इमारतों की लगातार जांच करना संभव नहीं है. और शिकायत मिलने पर ही जांच की जाती है. दिल्ली के Fire Department का ज़िम्मा दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के पास है. सत्येंद्र जैन ने इस हादसे के बाद घटनास्थल का दौरा किया. कुछ Tweet किए और जांच की बात करके उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा ली.
इस होटल को सिर्फ 4 मंज़िल तक बनाने की इजाजत थी लेकिन इसमें 6 मंज़िलें बनाई गईं. इसके लिए North Delhi Municipal Corporation जिम्मेदार है. इस वक्त करोल बाग ज़ोन के North DMC के executive engineer कुमार महेंद्र हैं. अप्रत्यक्ष रूप से इस हादसे की ज़िम्मेदारी पुलिस की भी है, क्योंकि उसे किसी भी अवैध काम की खबर संबंधित विभाग को देनी चाहिए. Central Delhi के DCP M S रंधावा भी इसके लिए जिम्मेदार हैं.
दिल्ली का मुख्यमंत्री होने के नाते जिम्मेदारी अरविंद केजरीवाल की भी है. अगर इनमें से एक व्यक्ति भी जाग गया होता तो ये हादसा नहीं होता. हमारे देश में सिस्टम की कमियां ही भ्रष्ट तंत्र को आगे बढ़ने की हिम्मत देती हैं और इसका दुष्परिणाम देश की जनता को भुगतना पड़ता है. इसका एक और भयानक उदाहरण तेलंगाना के Ranga Reddy ज़िले से आया है. वहां की एक Society में एक बच्चे की करंट लगने से मौत हो गई. तेलंगाना के नरसिंग्घी इलाके में ये बच्चा खेलते हुए एक Lamp Post के पास जा पहुंचा और फिर उसी से चिपक कर रह गया.
शुरुआत में लोगों ने बच्चे की तरफ ध्यान नहीं दिया. उन्हें लगा कि वो उस खंबे को पकड़ कर खेल रहा है, लेकिन जबतक लोगों को पूरी घटना समझ में आती तब तक काफी देर हो चुकी थी. ऐसा कहा जा रहा है, कि लोहे का Lamp Post, बिजली की तार के संपर्क में था, जिसकी वजह से उसमें करंट प्रवाहित हो रहा था. 7 साल के बच्चे ने जैसे ही खंबे को पकड़ा, कंरट ने उसे अपनी तरफ खींच लिया और वो वहीं पर चिपका रह गया. ये पूरा Video इतना वीभत्स है, कि हम इसे आपको पूरा दिखा भी नहीं सकते. लेकिन ये ख़बर आपको बतानी इसलिए ज़रुरी थी ताकि आप सिस्टम के काम करने के तरीके को समझ सकें. इस मामले में भी जांच के नाम पर IPC की धारा 304-A के तहत लापरवाही का मामला दर्ज कर लिया गया है, लेकिन सच्चाई ये है, कि ऐसे ना जाने कितने लापरवाही वाले मामले हर रोज़ दर्ज होते रहते हैं. लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं होती.